फड़णवीस ने मराठा आरक्षण को लेकर लोगों को गुमराह किया: अशोक चव्हाण
By भाषा | Updated: May 5, 2021 18:01 IST2021-05-05T18:01:00+5:302021-05-05T18:01:00+5:30

फड़णवीस ने मराठा आरक्षण को लेकर लोगों को गुमराह किया: अशोक चव्हाण
मुंबई, पांच मई दाखिले और नौकरियों में मराठाओं के लिए आरक्षण से संबंधित महाराष्ट्र का कानून उच्चतम न्यायालय से खारिज हो जाने पर राज्य के मंत्री अशोक चव्हाण ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस पर ‘समुचित अधिकार’ के बिना 2018 में एसईबीसी कानून पारित करने का आरोप लगाया।
शीर्ष अदालत ने इस कानून को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए खारिज कर दिया और कहा कि 1992 में मंडल फैसले के तहत निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा के उल्लंघन के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है।
मराठा आरक्षण पर राज्य की उपसमिति के अध्यक्ष चव्हाण ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ केंद्र सरकार के 102 वें संशोधन ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने के फैसले (अधिकार को) छीन लिया है जिसके कारण, पिछली फड़णवीस सराकर ने जो एसईबीसी कानून बनाया, उसे उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ जब आपके पास ऐसे अधिकार न हो तब कानून पारित करना तत्कालीन मुख्यमंत्री फड़णवीस द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा एवं विधानपरिषद को गुमराह करने जैसा है। यह लोगों को गलत जानकारी देकर उन्हें ठगने जैसा है। ’’
नौकरियों एवं दाखिले में मराठाओं को आरक्षण देने के लिए 2018 में एसईबीसी (सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ा समुदाय) अधिनियम पारित किया था।
चव्हाण ने कहा कि शीर्ष अदालत ने ‘ इस बात पर मुहर लगा दी है कि संविधान के 102 वें संशोधन के बाद ऐसा कोई आरक्षण देने का अधिकार ही नहीं है।’’
इस बीच, महा विकास अघाड़ी सरकार के अन्य मंत्री और राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा, ‘‘ अब गेंद केंद्र के पाले में है। राज्य सरकार मराठाओं को आरक्षण देने की सिफारिश सौंपने के लिए तैयार है।.. केंद्र आरक्षण देने के राज्य के अधिकार को अदालत के माध्यम से बहाल करे जैसा कि उसने संसद में आश्वासन दिया था, या उसे पिछड़ा आयोग गठित करना चाहिए।
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