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सुरक्षाधिकारियों के गले की फांस बन गया कटड़ा में यात्री बस में हुआ धमाका, जानें पूरा मामला

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: May 17, 2022 12:30 IST

पिछले साल मार्च महीने में आतंकियों ने कश्मीर में एक टिप्पर पर इसका इस्तेमाल कर उसे क्षति पहुंचाई थी और उसके दो महीनों के बाद सांबा के इंटरनेशनल बार्डर से मिली खेप पर पुलिस ने चुप्पी तो साध ली पर कटड़ा में हुए ताजा धमाके से हफ्ता भर पहले जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर इसे लगाकर क्षति पहुंचाने के प्रयास ने आतंकियों के इरादों को जाहिर कर दिया था।

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ठळक मुद्देस्टिकी बम को ग्रेनेड नंबर 74 भी कहा जाता है जिसका निर्माण दूसरे विश्व युद्ध में टैंकों को क्षति पहुंचाने के लिए आरंभ हुआ था। इसमें शीशे के जार में नाइट्रोग्लेसरिल का घोल होता है जिसे टाइमर या रिमोट से चालू किया जाता है।

जम्मू: चार दिन पहले वैष्णो देवी तीर्थस्थल के बेस कैंप कटड़ा में यात्री बस में हुए संदिग्ध धमाके ने सुरक्षाबलों की नींद उड़ा दी है। यह धमाका उनके गले की फांस इसलिए बन गया है क्योंकि प्रारंभिक जांच कहती है कि यह स्टिकी बम अर्थात चिपकने वाले बम से किया गया था। इसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और 22 अन्य जख्मी हुए थे।

यूं तो जम्मू पुलिस अभी भी इसे बस के इंजन में लगी आग वाले अपने वक्तव्य पर कायम है पर मामले की जांच में कूदी एनआईए के सूत्र कहते थे कि यह स्टिकी बम ही था जो आतंकियों की खेप में अब नए हथियार के तौर पर शामिल हो चुका है। जम्मू कश्मीर में स्टिकी बम अर्थात चिपकने वाले बम का इतिहास अधिक पुराना नहीं है। 

पिछले साल मार्च महीने में आतंकियों ने कश्मीर में एक टिप्पर पर इसका इस्तेमाल कर उसे क्षति पहुंचाई थी और उसके दो महीनों के बाद सांबा के इंटरनेशनल बार्डर से मिली खेप पर पुलिस ने चुप्पी तो साध ली पर कटड़ा में हुए ताजा धमाके से हफ्ता भर पहले जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर इसे लगाकर क्षति पहुंचाने के प्रयास ने आतंकियों के इरादों को जाहिर कर दिया था।

दरअसल स्टिकी बम को ग्रेनेड नंबर 74 भी कहा जाता है जिसका निर्माण दूसरे विश्व युद्ध में टैंकों को क्षति पहुंचाने के लिए आरंभ हुआ था। इसमें शीशे के जार में नाइट्रोग्लेसरिल का घोल होता है जिसे टाइमर या रिमोट से चालू किया जाता है। याद रहे शुक्रवार को माता वैष्णो देवी के तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस को कटरा क्षेत्र में एक विस्फोटक से उड़ा दिया गया, जिसमें चार की मौत हो गई थी और 22 यात्री घायल हो गए। 

एक आतंकी संगठन जम्मू और कश्मीर स्वतंत्रता सेनानियों (जेकेएफएफ) ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि बस को एक विस्फोटक उपकरण (आईडी) से निशाना बनाया गया था। आतंकवादियों के दावे की सत्यता के बारे में पूछे जाने पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों के लिए हमला करना और फिर उन संगठनों के माध्यम से जिम्मेदारी का दावा करना असामान्य नहीं है।

और अब सुरक्षाबलों की चिंता स्टिकी बम इसलिए बन गए हैं क्योंकि डेढ़ महीनों के बाद अमरनाथ यात्रा आरंभ होने वाली है और बड़े हथियारों की कमी से जूझ रहे आतंकी इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर सकते हैं, की सूचनाओं के बाद सुरक्षाबल इनकी तलाश में अंधेरे में हाथ पांव मार रहे हैं। हालांकि वे कटड़ा के इस विस्फोट की खबर को भी अंडर प्ले करने की कोशिश में तो हैं पर एनआईए की जांच उनकी कोशिशों को कामयाब नहीं होने दे रही है जो कहते थे कि खतरा अब द्वार पर आ खड़ा हुआ है जो भयानक तो नहीं है पर नुक्सान पहुंचा दहशतजदा करने वाला जरूर है।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरबम विस्फोटबम
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