Exit Poll 2019: मोदी सरकार के आने से इन प्रदेश सरकारों को है असली सियासी खतरा!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 21, 2019 08:26 AM2019-05-21T08:26:22+5:302019-05-21T08:27:33+5:30

Exit Poll 2019: state governments like Rajasthan, UP, MP are in fear after exit polls out, loksabha elections 2019 | Exit Poll 2019: मोदी सरकार के आने से इन प्रदेश सरकारों को है असली सियासी खतरा!

केंद्र सरकार के गठन के बाद देश का सियासी समीकरण एक बार फिर बदलेगा जिसका असर विभिन्न राज्यों में नजर आएगा.

Highlightsपिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात देकर कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही है. केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनती है तो सियासी जोड़तोड़ का खेल फिर से शुरू हो जाएगा.

20 मई लोकसभा चुनाव के लिए मतगणना से पहले एक्जिट पोल के नतीजे आ गए हैं. ये नतीजे बता रहे हैं कि केंद्र में राजग की सरकार बनने जा रही है. केंद्र में सरकार किसी की भी बने, असली सियासी खतरा तो यूपी, राजस्थान, मध्यप्रदेश और कर्नाटक जैसी प्रदेश सरकारों पर मंडरा रहा है. यदि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनती है तो सियासी जोड़तोड़ का खेल फिर से शुरू हो जाएगा.

राजनीतिक जोड़तोड़ के लिए राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों पर सबसे पहले निशाना साधा जा सकता है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात देकर कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही है. राजस्थान में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हैं और सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री हैं.

वैसे, राजस्थान, मध्यप्रदेश और कर्नाटक से बेहतर स्थिति में है. यहां कांग्रेस के 200 में से 100 विधायक हैं, बसपा सहित कुछ निर्दलीय विधायक का भी उसे साथ मिला हुआ है, जबकि भाजपा के पास 73 विधायक हैं और अब हनुमान बेनीवाल की पार्टी उसके साथ है. राजस्थान सरकार को अस्थिर करने के प्रयास तो पीएम मोदी ने यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान ही शुरू कर दिए थे, जब उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती को अलवर गैंगरेप मामले में राजस्थान की सरकार से समर्थन वापस लेने की चुनौतीपूर्ण सलाह दी थी.

यही नहीं, खतरा यूपी, हरियाणा जैसी सरकारों को भी है, जहां आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने हैं. यूपी में सपा-बसपा गठबंधन ने कांग्रेस से अलग रहकर लोकसभा चुनाव लड़ा है. आम चुनाव के नतीजों में यह साफ हो जाएगा कि सपा-बसपा को कांग्रेस के साथ की जरूरत है या नहीं? जाहिर है, यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने सबसे बड़े राज्य की सत्ता बचाने की तगड़ी चुनौती रहेगी. यही स्थिति दिल्ली की भी है.

आम चुनाव के नतीजों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि दिल्ली में कांग्रेस के पास कितना वोट है और आम आदमी पार्टी (आप) के पास कितना वोट है, मतलब- दिल्ली विधानसभा चुनाव 'आप' और कांग्रेस को मिलकर लड़ना चाहिए या नहीं तथा गठबंधन किन शतार्ें पर होना चाहिए. यदि केंद्र में राजग सरकार बनती है तो कर्नाटक में भी राजनीतिक जोड़तोड़ रंग दिखा सकती है.

कर्नाटक, भाजपा के लिए इसलिए भी आसान टारगेट है क्योंकि वहां प्रदेश के कुछ कांग्रेस नेताओं को केंद्रीय कांग्रेस नेतृत्व की सियासी जरूरत (कांग्रेस और जद(एस) गठबंधन) की ज्यादा परवाह नहीं है, उनके लिए अपना सियासी फायदा ज्यादा महत्वपूर्ण है.

जाहिर है, कर्नाटक में सियासी जोड़तोड़ करना भाजपा के लिए आसान है और इसका उसे अनुभव भी है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि केंद्र सरकार के गठन के बाद देश का सियासी समीकरण एक बार फिर बदलेगा जिसका असर विभिन्न राज्यों में नजर आएगा.

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