महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव की घोषणा के साथ ही चुनाव आयोग ने इन दोनों राज्यों में मतदान को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस को सुरक्षा से जुड़े इंतजाम और तैनाती योजना बनाने के लिए कहा गया है.
इसके साथ ही चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों की ओर से ईवीएम को लेकर उठाए जाने वाले संभावित सवाल और आरोप से निपटने को लेकर भी तैयारी शुरू कर दी है. उसने इन चुनावों में डबल वैरिफाइड ईवीएम मशीनों को लगाने का निर्णय किया है. इसके लिए जल्द ही विपक्षी दलों से भी संपर्क साधने का कार्य किया जाएगा.
सूत्रों के मुताबिक डबल वैरिफाइड या दोहरी जांच प्रक्रिया से यह मतलब है कि इन राज्यों में वही ईवीएम मशीन लगाई जाएंगी जिसको लेकर विपक्ष पूरी तरह से आश्वस्त होगा.
पहले चरण के सत्यापन या जांच में चुनाव आयोग अपनी ओर से सभी मशीनों की जांच करता है. वह औचक तरीके से किसी भी मशीन को चुनकर इंजीनियरों और अपने वरिष्ठ अधिकारियों के सामने संबंधित मशीन पर मतदान को चेक करता है. यह देखा जाता है कि जिस बटन को दबाया जा रहा है वह सही से काम कर रहा है या नहीं.
वहीं दूसरे चरण के सत्यापन या जांच में चुनाव आयोग सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित कर मशीन चेक कराएगा. उन्हें यह अवसर दिया जाएगा कि वह अपने साथ किसी पेशेवर इंजीनियर या ईवीएम एक्सपर्ट को भी लेकर आएं. वह अपनी चिंता या शंका को जाहिर करें और किसी भी मशीन पर औचक अपने शक से संबंधित जांच करें. अगर किसी मशीन में गड़बड़ी पाई जाती है तो उसके साथ बनने वाली सभी अन्य मशीन को भी पूरी जांच प्रक्रिया से निकाला जाएगा. इस तरह से पूरी तरह से दो बार सत्यापित मशीन ही चुनाव में उपयोग की जाएंगी.
जांच के लिए करें आवेदनकेंद्रीय चुनाव आयोग या फिर राज्य चुनाव आयोग के स्तर पर महाराष्ट्र और हरियाणा प्रदेश का कोई भी व्यक्ति, किसी दल से जुड़ा नेता या कार्यकर्ता या फिर कोई भी सामाजिक कार्यकर्ता चाहे तो अपनी शंका जाहिर कर उससे संबंधित जांच के लिए आवेदन कर सकता है.
यही नहीं, इन प्रक्रिया के बाद जब मशीन को मतदान केंद्र में तैनात किया जाएगा तो उस समय भी एक बार वहां पर तैनात विभिन्न दलों के बूथ कार्यकर्ता या चुनाव एजेंट को मशीन तैनात करने से पहले मशीन पर ट्रायल करके दिखाया जाता है. ऐसे में ईवीएम पर इसके बाद भी अगर कोई किसी तरह का आरोप लगाता है तो उसको लेकर आयोग कुछ नहीं कर सकता है.