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इस बार भी लीजिए मजा, जंस्कार नदी पर करें चद्दर ट्रैकिंग और पैंगोंग झील में मैराथन दौड़

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: December 5, 2023 17:22 IST

यह खबर आपके लिए ही हो सकती है। दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की झील, पैंगांग लेक जो एक अथाह समुद्र की तरह इसलिए है क्योंकि यह 150 किमी के करीब लंबी है, पर आप मैराथन में हिस्सा ले सकते हैं। पानी पर नहीं बल्कि इसके जम जाने पर अर्थात बर्फ में बदल जाने पर। इस बार यह मैराथन 20 फरवरी 2024 को संपन्न होगी।

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ठळक मुद्देलद्दाख में दो जगह कर रही आपका इंतजार पहला जंस्कार नदी पर करें चद्दर ट्रैकिंग और दूसरा पैंगोंग झील में मैराथन दौड़इस बार यह मैराथन 20 फरवरी 2024 को संपन्न होगी

जम्मू: सच में अगर आप रोमांच की इच्छा रखते हैं तो लद्दाख में दो जगह आपका इंतजार कर रही हैं। यह है सर्दियों में बर्फ में बदल जाने वाली जंस्कार नदी पर ट्रेकिंग का आनंद, जिसे चद्दर ट्रैक कहा जाता है और दूसरा पैंगांग झील पर एक बार फिर जमी हुई झील पर मैराथन दौड़ का।

यह खबर आपके लिए ही हो सकती है। दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की झील, पैंगांग लेक जो एक अथाह समुद्र की तरह इसलिए है क्योंकि यह 150 किमी के करीब लंबी है, पर आप मैराथन में हिस्सा ले सकते हैं। पानी पर नहीं बल्कि इसके जम जाने पर अर्थात बर्फ में बदल जाने पर। इस बार यह मैराथन 20 फरवरी 2024 को संपन्न होगी।

हालांकि, जंस्कार नदी के जम जाने के बाद इस पर होने वाली कई किमी की ट्रेकिंग, जिसे चद्दर ट्रैक कहा जाता है, कई सालों से हो रही है पर पैंगांग लेक पर मैराथन दूसरी बार होगी। मैराथन करवाने के लिए लद्दाख आटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल अर्थात एलएएचडीसी ने इसकी योजना पर मंजूरी दे दी है।

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ने 13,862 फीट ऊंची पैंगांग झील में शून्य से कम तापमान में अपनी पिछले साल पहली 21 किलोमीटर दौड़ का सफलतापूर्वक आयोजन करके इतिहास रचा था। इसे गिनीज विश्व रिकॉर्ड में दुनिया की सबसे ऊंची जमी हुई झील पर हुई हाफ मैराथन के रूप में दर्ज किया जा चुका है।

जानकारी के लिए भारत और चीन की सीमा पर 700 वर्ग किलोमीटर में फैली पैंगोंग झील का सर्दियों के दौरान तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक होता है, जिससे खारे पानी की झील बर्फ से जम जाती है और इसी झील के किनारों पर कब्जे की जंग चीन और भारतीय सेना के बीच चार सालों से चल रही है।

यह सब लद्दाख में विंटर टूरिज्म की योजनाओं के तहत किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त भी और कई योजनाओं को एलएएचडीसी की बैठक में अंतिम रूप दिया गया है। पर एलएएचडीसी के चेयरमेन तथा चीफ काउंसलर ताशी गयालसन ने इन दो रोमांचकारी योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करने पर जोर दिया।

उन्होंने बताया कि अगर चीन सीमा पर स्थित पैंगांग झील के आसपास परिस्थितियां समाान्य रहीं तो वे सर्दी के मौसम में जम जाने वाली इस झील पर फिर से मैराथन करवाना चाहेंगें। वे लोगों को इस पर चलने का न्यौता भी दे रहे हैं। जानकारी के लिए पैंगांग झील के किनारों पर कब्जा जमाए बैठी चीनी सेना के साथ पिछले चार सालों से तनातनी के माहौल के बावजूद पैंगांग झील तक टूरिस्टों को जाने की अनुमति प्रदान की जा रही है।

जबकि लद्दाख की जंस्कर घाटी में जंस्कर नदी पर होने वाला चद्दर ट्रेक सिर्फ लद्दाख प्रेमियों को ही नहीं बल्कि एडवेंचर के उन शौकिनों को भी आकर्षित करता है जो जोखिम उठाने में बहुत मज़ा आता है। सर्दियों के मौसम में जम चुकी जंस्कर नदी की बर्फीली चादर से ही इस ट्रेक को अपना नाम चद्दर ट्रेक मिला है। जम चुकी बर्फीली नदी पर चलते हुए इस ट्रेक को पूरा करना जितना चुनौतीपूर्ण होता है उतना ही एडवेंचरस भी होता है।

चद्दर ट्रेक की गिनती कठिनतम ट्रेक में होती है। इसका बेस कैंप लेह से करीब 60-70 किमी दूर तिलाद में होता है। इसलिए सबसे पहले आपको लेह पहुंचना होगा और वहां से बेस कैंप जाना पड़ेगा। तिलाद से ट्रेकिंग शुरू कर चिलिंग के माध्यम से चद्दर ट्रेक के डेस्टिनेशन पर पहुंचा जाता है। चिलिंग से आप जैसे-जैसे जंस्कर नदी के किनारे-किनारे आगे बढ़ते हैं, जंस्कर नदी जमने लगती है। लगभग 105 किमी लंबे इस ट्रेक को पूरा करने में लगभग 9-15 दिनों का समय लगता है।

हालांकि चद्दर ट्रैक में शामिल होने वालों की सेहत और दुर्घटनाओं से निपटने की तैयारियां भी लेह स्वास्थ्य विभाग ने आरंभ कर दी है और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इसमें शामिल होने वालों की जान व सेहत का बीमा होना आवश्यक शर्त के तौर पर लागू किया जाए।

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