किसान आंदोलन की सफलता से उत्साहित असम के संगठन सीएए विरोधी प्रदर्शन को करेंगे तेज

By भाषा | Published: November 22, 2021 05:49 PM2021-11-22T17:49:44+5:302021-11-22T17:49:44+5:30

Encouraged by the success of the farmers' movement, Assam's organizations will intensify anti-CAA protests | किसान आंदोलन की सफलता से उत्साहित असम के संगठन सीएए विरोधी प्रदर्शन को करेंगे तेज

किसान आंदोलन की सफलता से उत्साहित असम के संगठन सीएए विरोधी प्रदर्शन को करेंगे तेज

गुवाहाटी, 22 नवंबर किसानों के एक साल से अधिक लंबे आंदोलन के बाद तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले ने असम में कई संगठनों को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी आंदोलन को फिर से शुरू करने के लिए नया प्रोत्साहन दिया है।

वर्ष 2019 में कानून के खिलाफ आंदोलन शुरू करने वाले प्रमुख संगठन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) से लेकर कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस), प्रदर्शनकारी नेताओं द्वारा गठित राजनीतिक संगठन राइजोर दल (आरडी) और असम जातीय परिषद (एजेपी), सभी अपने संगठन के भीतर और अन्य समूहों के साथ आंदोलन को तेज करने के लिए चर्चा कर रहे हैं।

इन संगठनों के नेताओं ने कहा कि सीएए के खिलाफ आंदोलन ने कोविड​​-19 महामारी के कारण अपना ‘‘सामूहिक स्वरूप’’ खो दिया, लेकिन कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय ने उनके आंदोलन को ‘प्रेरणा’ दी है। पूर्वोत्तर में कई संगठन इस आशंका से सीएए का विरोध करते हैं कि इससे क्षेत्र की जनसांख्यिकी में परिवर्तन होगा। कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में दमन के शिकार ऐसे हिंदुओं, जैनियों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को नागरिकता देने का प्रावधान है, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया।

आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि यह ‘‘मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का लोगों के साथ अन्याय था।’’ नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (एनईएसओ) के भी सलाहकार भट्टाचार्य ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अब, केंद्र को सीएए को निरस्त करना होगा क्योंकि यह पूर्वोत्तर के मूल लोगों के खिलाफ है। आसू और एनईएसओ सीएए को लेकर हमारे विरोध पर अडिग हैं। यह क्षेत्र के लोगों की पहचान के सवाल से जुड़ा है।’’

उन्होंने कहा कि आसू पहले से ही एनईएसओ और 30 अन्य संगठनों के साथ बातचीत कर रहा है कि कैसे नयी रणनीतियों के माध्यम से सीएए विरोधी आंदोलन को आगे बढ़ाया जाए। भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘आंदोलन कभी खत्म नहीं हुआ। हम अलग-अलग मंचों पर अपना विरोध जारी रखे हुए थे। कोविड-19 महामारी, लॉकडाउन और परीक्षाओं के कारण कुछ शिथिलता आई थी, लेकिन अब, हम आंदोलन को तेज करने के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं।’’

पिछले साल केएमएसएस नेताओं द्वारा गठित रायजोर दल भी सीएए विरोधी आंदोलन को फिर शुरू करने के लिए तैयारी कर रहा है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष भास्को डि सैकिया ने कहा, ‘‘केंद्र के कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले के बाद असम के लोगों में यह भावना है कि सीएए विरोधी आंदोलन नहीं टिका। वे चाहते हैं कि इसे फिर से शुरू किया जाए।’’

सैकिया ने कहा, ‘‘2019 में हमारे अध्यक्ष अखिल गोगोई सहित केएमएसएस के 40 नेताओं की गिरफ्तारी ने आंदोलन के बाद के चरणों में हमारी भागीदारी को बाधित कर दिया था। महामारी और लॉकडाउन जैसे अन्य व्यवधान भी हुए। लेकिन अब हम इस पर चर्चा कर रहे हैं कि इसे कैसे फिर से शुरू किया जाए।’’

एजेपी के प्रवक्ता जियाउर रहमान ने कहा, ‘‘हम एक राजनीतिक दल हैं और हम राजनीतिक रूप से सीएए के खिलाफ लड़ेंगे। जिन संगठनों ने पहले इस कानून के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था, उन्हें इसे फिर से शुरू करना चाहिए। हम उनका समर्थन करेंगे।’’

सीएए विरोधी आंदोलन दिसंबर 2019 में छात्र और युवा संगठनों के नेतृत्व में एक जन आंदोलन के रूप में शुरू हुआ, लेकिन बाद में प्रदर्शन के दौरान हिंसा की घटनाएं भी हुईं। अखिल गोगोई और उनके कुछ सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद आसू के बाद आंदोलन की गति धीमी होती गई। सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान गठित राजनीतिक दलों का भी इस साल के विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन रहा। एजेपी का खाता नहीं खुला और केवल राइजोर दल के प्रमुख अखिल गोगोई शिवसागर सीट से जीत सके।

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Web Title: Encouraged by the success of the farmers' movement, Assam's organizations will intensify anti-CAA protests

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