प्रख्यात बंगाली लेखक बुद्धदेव गुहा का निधन, विभिन्न हस्तियों ने जताया शोक

By भाषा | Published: August 30, 2021 05:28 PM2021-08-30T17:28:23+5:302021-08-30T17:28:23+5:30

Eminent Bengali writer Buddhadeb Guha passes away, various personalities mourn | प्रख्यात बंगाली लेखक बुद्धदेव गुहा का निधन, विभिन्न हस्तियों ने जताया शोक

प्रख्यात बंगाली लेखक बुद्धदेव गुहा का निधन, विभिन्न हस्तियों ने जताया शोक

प्रख्यात बंगाली लेखक बुद्धदेव गुहा जिन्होंने ‘मधुकरी’ जैसी रचनाएं रची थी, का 85 साल की उम्र में निधन हो गया है। लेखक के परिवार ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने के बाद उत्पन्न हुई समस्याओं के कारण उन्हें यहां के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और रविवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद देर रात 11 बजकर 25 मिनट पर उनका निधन हो गया।गुहा के उपन्यासों में उनकी प्रकृति और पूर्वी भारत के वनों के प्रति करीबी प्रतिबिंबित होती थी। परिवार के सदस्यों ने बताया कि गुहा को इस महीने के शुरुआत में सांस लेने में समस्या और पेशाब में संक्रमण की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुहा अप्रैल में कोरोना वायरस की चपेट में आए थे और करीब 33 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे थे। उनकी बड़ी बेटी मालिनी बी गुहा ने सोशल मीडिया पर जारी संदेश में कहा, ‘‘ बुद्धदेव गुहा नहीं रहे। उन्हें वर्ष 2021 को जन्माष्टमी की रात परब्रहम की प्राप्ति हुई है। उनके जीवन का जश्न मनाने में उनके परिवार और दोस्तों के साथ शामिल हों।’’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी गुहा के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘‘ बुद्धदेव गुहा को ‘कोलेर कच्छै’ , ‘कोजागर’, ‘इकतु उसनोतर जोनया’, ‘मधुकरी’ , ‘जंगलहन’, ‘चोरोबेटी’ और उनकी अन्य रचनाओं के लिए याद किया जाएगा। वह बंगाल के प्रमुख मशहूर काल्पनिक किरदार ‘रिजुदा’ और ‘रुद्र’ के भी रचयिता थे।’’ बनर्जी ने उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति भी संवेदना व्यक्त की। गुहा का जन्म 29 जून 1936 को कोलकाता में हुआ था। उनका बचपन पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के रंगपुर और बारीसाल जिलों में बीता। उनके बचपन के अनुभवों और यात्राओं ने उनके दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी, जो बाद में उनके लेखन में दिखाई दी।उन्हें 1976 में आनंद पुरस्कार, इसके बाद शिरोमन पुरस्कार और शरत पुरस्कार के अलावा उनके अद्भुत काम के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। ‘मधुकरी’ के अलावा उनकी पुस्तक ‘कोलेर कच्छै’ और ‘'सविनय निवेदन' भी काफी मशहूर हुईं। एक पुरस्कार विजेता बंगाली फिल्म 'डिक्शनरी' उनकी दो रचनाओं 'बाबा होवा' और 'स्वामी होवा' पर आधारित है। गुहा एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक और एक कुशल चित्रकार भी थे। बच्चों के लिए भी उनकी लेखनी को काफी सराहना मिली तथा उनके किरदार ‘रिजुदा’ और ‘रुद्र’ भी काफी लोकप्रिय हुए।नबकल्लोर और शुक्तारा पत्रिका के संपादक और देवी साहित्य कुटीर प्रकाशन घर की निदेशक रूपा मजूमदार जिनकी पत्रिका में हाल में गुहा के बचपन के संस्मरणों को लघु कथा की श्रृंखला के रूप में प्रकाशित किया गया था ने कहा, ‘‘ वह एक महानायक थे, वह एक साहित्यकार थे... जब वह किसी पुस्तक मेले के दौरान हमारे स्टाल पर आते थे, तो लोग उन्हें केवल देखने आते थे। उनकी कुछ किताबों को हमने प्रकाशित किया जो सबसे अधिक बिकने वाली साबित हुईं।’’ लेखक, प्रकाशक और गुहा के मित्र सबितेंद्रनाथ रॉय ने कहा, ‘‘वह महान लेखक और अच्छे दोस्त थे। हम उनके अड्डा (गपशप) का आनंद लेते थे। जब भी हम मिलते थे तो मुलाकात का अंत उनके गाने से होता था। उन्हें कई तरह का ईश्वरीय वरदान मिला था।’’ मजूमदार ने कहा कि यह प्रकाशकों की और उनके उत्तराधिकारियों का कर्तव्य है कि गुहा के कार्यों को अंग्रेजी सहित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जाए ताकि दुनिया उनकी प्रतिभा को महसूस कर सके जिसे बंगाली साहित्य में पहले ही मान्यता प्राप्त है। पेशे से सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट गुहा अच्छे शास्त्रीय संगीत के गायक और चित्रकार भी थे। उनके समकक्षों ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और गुहा के साथ अपनी यादें साझा की। वयोवृद्ध लेखक श्रीशेंदु मुखर्जी ने कहा कि वह अब भी ‘लाला’ के निधन की खबर सुनकर स्तब्ध है। गुहा को उनके करीबी मित्र लाला कहकर पुकारते थे। एक अन्य जाने माने लेखक मणिशंकर मुखर्जी ने कहा कि गुहा का निधन भारतीय साहित्य की अपूरणीय क्षति है।

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Web Title: Eminent Bengali writer Buddhadeb Guha passes away, various personalities mourn

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