नई टेक्नोलॉजी पर किया जा रहा काम, दूसरे राज्य या शहर में होने पर भी वोटर कर पाएंगे वोटिंग

By भाषा | Published: February 16, 2020 06:30 PM2020-02-16T18:30:45+5:302020-02-16T18:30:45+5:30

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने हाल ही में इस व्यवस्था के बारे में खुलासा किया था कि आईआईटी मद्रास के सहयोग से विकसित की जा रही मतदान की इस पद्धति के तहत किसी भी राज्य में पंजीकृत मतदाता किसी अन्य राज्य से मतदान कर सकेगा।

Election Commission, IIT Madras join hands to develop new technology for voting | नई टेक्नोलॉजी पर किया जा रहा काम, दूसरे राज्य या शहर में होने पर भी वोटर कर पाएंगे वोटिंग

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Highlightsचुनाव आयोग आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर एक ऐसी नई प्रौद्योगिकी विकसित करने पर काम कर रहा है जिसमें अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर किसी अन्य शहर या राज्य में होने पर भी मतदाता मतदान कर पाएगा। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि परियोजना फिलहाल शोध और विकास के चरण में है और इसका मकसद ‘प्रोटोटाइप’ विकसित करना है।

चुनाव आयोग आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर एक ऐसी नई प्रौद्योगिकी विकसित करने पर काम कर रहा है जिसमें अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर किसी अन्य शहर या राज्य में होने पर भी मतदाता मतदान कर पाएगा। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि परियोजना फिलहाल शोध और विकास के चरण में है और इसका मकसद ‘प्रोटोटाइप’ विकसित करना है। आयोग की इस भावी पहल से मतदान प्रतिशत बढ़ने और चुनाव संपन्न कराने के खर्च में कमी आने के भी आसार हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने हाल ही में इस व्यवस्था के बारे में खुलासा किया था कि आईआईटी मद्रास के सहयोग से विकसित की जा रही मतदान की इस पद्धति के तहत किसी भी राज्य में पंजीकृत मतदाता किसी अन्य राज्य से मतदान कर सकेगा। वरिष्‍ठ उप चुनाव आयुक्त संदीप सक्सेना ने स्पष्ट किया कि मतदाता को इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए पहले से तय वक्त पर नियत स्थल पर पहुंचना होगा।

सक्सेना ने कहा कि इसका मतलब घर से मतदान करना नहीं है। घर से मतदान के लिए और वक्त तथा उन्नत प्रौद्योगिकी की जरूरत है। सक्सेना ने कहा, “ मानिए कि लोकसभा चुनाव है और चेन्नई का मतदाता दिल्ली में है। तो मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र जाने के बजाय या मतदान नहीं करने के बजाय, वह चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए स्थान पर खास समय पर आ सकता है और अपना वोट दे सकता है।”

उन्होंने कहा कि ऐसे मतदाताओं को यह सुविधा लेने के लिए अपने चुनाव अधिकारी के यहां पहले से आवेदन देना होगा। इस परियोजना से जुड़े एक अन्य अधिकारी ने बताया कि दूरस्थ मतदान का प्रयोग ई वोटिंग के रूप में सबसे पहले 2010 में गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव में किया गया था। इसमें राज्य के प्रत्येक स्थानीय निकाय के एक एक वार्ड में ई वोटिंग का विकल्प मतदाताओं को दिया गया था।

इसके बाद 2015 में गुजरात राज्य निर्वाचन आयोग ने अहमदाबाद और सूरत सहित छह स्थानीय निकायों के चुनाव में मतदाताओं को ई वोटिंग की सुविधा से जोड़ा था। हालांकि व्यापक प्रचार न हो पाने के कारण इस चुनाव में 95.9 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से सिर्फ 809 मतदाताओं ने ही ई वोटिंग का इस्तेमाल किया था।

देशव्यापी स्तर पर ई वोटिंग को लागू करने के लिये पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत के कार्यकाल में मतदाता पहचान पत्र को ‘आधार’ से जोड़कर सीडेक के सहयोग से ई वोटिंग सॉफ्टवेयर विकसित करने की परियोजना को आगे बढ़ाया था। इस परियोजना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से लिंक करने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के कारण यह परियोजना लंबित थीं लेकिन हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने आधार संबंधी पूर्वनिर्धारित दिशानिर्देशों के तहत इसे मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने की मंजूरी दे दी है।

एक अनुमान के मुताबिक देश में लगभग 45 करोड़ प्रवासी लोग हैं जो रोजगार आदि के कारण अपने मूल निवास स्थान से अन्यत्र निवास करते हैं। इनमें से कई मतदाता विभिन्न विवशताओं के कारण मतदान वाले दिन अपने उस चुनाव चुनाव क्षेत्र में नहीं पहुंच पाते हैं जहां के वे पंजीकृत मतदाता है।

Web Title: Election Commission, IIT Madras join hands to develop new technology for voting

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