बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा पार्क में आठ साल की जिराफ 'गौरी' को आखिरकार साथी मिली, डेढ़ साल की दोस्त 'शिवानी' को बाड़े में छोड़ा गया

By अनुभा जैन | Published: February 28, 2024 02:11 PM2024-02-28T14:11:30+5:302024-02-28T14:13:22+5:30

13.5 फुट की शिवानी को विशेष रूप से डिजाइन किए गए कंटेनर में मैसूर से बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क में स्थानांतरित किया गया। मंगलवार दोपहर को शिवानी को गौरी के बाड़े छोड़ दिया गया।

Eight-year-old giraffe 'Gauri' finally finds a companion in Bengaluru's Bannerghatta Park | बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा पार्क में आठ साल की जिराफ 'गौरी' को आखिरकार साथी मिली, डेढ़ साल की दोस्त 'शिवानी' को बाड़े में छोड़ा गया

बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा पार्क में जिराफ गौरी (फाइल फोटो)

Highlightsजिराफ गौरी को आखिरकार मैसूर चिड़ियाघर से एक साथी जिराफ मिल ही गईगौरी के लिए एक साथी डेढ़ साल की मादा जिराफ़ मिल गई, जिसका नाम शिवानी हैमंगलवार दोपहर को शिवानी को गौरी के बाड़े छोड़ दिया गया

बेंगलुरु:  बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क में आठ साल की मादा जिराफ गौरी के लिए साथी की तलाश खत्म हो गई है। आख़रिकार, चिड़ियाघर के कर्मचारियों और अधिकारियों को मैसूर के श्री-चामराजेंद्र प्राणी उद्यान में गौरी के लिए एक साथी डेढ़ साल की मादा जिराफ़ मिल गई, जिसका नाम शिवानी है। 13.5 फुट की शिवानी को एक मल्टी-एक्सल ट्रक पर विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए कंटेनर में सड़क की 4-5 घंटे की ड्राइव में मैसूरु से बैंगलूरू स्थानांतरित किया गया और मंगलवार दोपहर को शिवानी को गौरी के बाड़े छोड़ दिया गया।

मैसूर चिड़ियाघर के कार्यकारी निदेशक डी. महेश कुमार ने बताया कि स्थानांतरण केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) द्वारा अनुमोदित पशु विनिमय कार्यक्रम का हिस्सा था। बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क के कार्यकारी निदेशक सूर्य सेन ने कहा, “कर्मचारियों ने व्यस्त बेंगलुरु-मैसूर राजमार्ग पर जिराफ के लिए आरामदायक परिवहन सुनिश्चित किया। हमने जानवर को आसानी से ले जाने के लिए पर्याप्त तैयारी की थी। शिवानी को मैसूर में तीन सप्ताह तक क्रेट का प्रशिक्षण दिया गया और उसे विशेष रूप से डिजाइन किए गए कंटेनर के अंदर रहने के लिए तैयार किया गया। इस प्रशिक्षण से उसे यात्रा के दौरान घुटन महसूस नहीं होने में मदद मिली। स्थानांतरण के बाद नये बाड़े में वह ठीक है।”

स्थानांतरण के दौरान शिवानी के साथ बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क के कार्यकारी निदेशक सूर्य सेन; मैसूरु चिड़ियाघर के सहायक निदेशक डॉ. जे.एल.श्रीनिवास; कर्नाटक चिड़ियाघर प्राधिकरण के पशु चिकित्सा सलाहकार डॉ. के.वी.मदान; रेंज वन अधिकारी वी. मुनिराज और श्री दिनेश रेंज; पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एम.एस.रोशन कृष्णा, और अन्य स्टाफ सदस्य की एक टीम भी थी।

बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क ने जिराफ के एक जोड़े को अपने संग्रह में जोड़ने के लिए काफी प्रयास किए हैं। 2012 में मैसूर चिड़ियाघर ने बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क को जिराफ दान करने से इनकार कर दिया था। आखिरकार, 2014 में सीजेडए के हस्तक्षेप के बाद मैसूर चिड़ियाघर अपने नौ जिराफों में से एक को बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क को दान करने के लिए सहमत हो गया। हालाँकि, जिराफ़ को ले जाने के लिए उपयुक्त पिंजरों की अनुपलब्धता के कारण इस कदम में देरी हुई।

2018 में बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क ने अपने दम पर एक पिंजरा बनाकर गौरी को प्राप्त किया। 2020 में गौरी के लिए फिर से मैसूरु चिड़ियाघर से एक साथी की व्यवस्था की गई जो डेढ़ साल का था जिसका नाम यदुनंदन था। लेकिन दुर्भाग्यवश एक दुर्घटना में इसकी मृत्यु 2021 में हो गई। तब से गौरी अकेली थी. गौरतलब है कि अब तक सिंगापुर सहित, मैसूर चिड़ियाघर ने भारत के विभिन्न चिड़ियाघरों को सात जिराफ दान में दिए हैं।

Web Title: Eight-year-old giraffe 'Gauri' finally finds a companion in Bengaluru's Bannerghatta Park

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