मनीष सिसोदिया के खिलाफ ईडी ने कोई मामला दर्ज नहीं किया, एजेंसी के शीर्ष अधिकारी ने स्पष्ट किया
By अनिल शर्मा | Published: August 24, 2022 08:16 AM2022-08-24T08:16:49+5:302022-08-24T08:37:46+5:30
जांच एजेंसी द्वारा यह स्पष्टिकरण अतिरिक्त निदेशक प्रवर्तन निदेशालय सोनिया नारंग द्वारा समाचार एजेंसी एएनआई को रिकॉर्ड पर पुष्टि करने के तुरंत बाद आया जिसमें उन्होंने कहा था कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है।
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया है। इस बात की पुष्टि एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को की। अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि एजेंसी ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। इससे पहले जांच एजेंसी में एक अतिरिक्त निदेशक ने कहा था कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ दिल्ली आबकारी नीति के संबंध में मामला दर्ज किया गया है।
जांच एजेंसी द्वारा यह स्पष्टिकरण प्रवर्तन निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक सोनिया नारंग द्वारा समाचार एजेंसी एएनआई को रिकॉर्ड पर पुष्टि करने के तुरंत बाद आया जिसमें उन्होंने कहा था कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है।
सीबीआई ने 2021-22 की आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार को लेकर मामला दर्ज किया था। बाद में आप सरकार ने आबकारी नीति को वापस ले लिया। सीबीआई ने पिछले हफ्ते दिल्ली की आबकारी नीति के क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में सिसोदिया के आधिकारिक आवास पर छापेमारी की थी और कई अन्य स्थानों पर भी तलाशी ली थी। इसके साथ ही दिल्ली के पूर्व आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण के परिसरों सहित सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में छापेमारी की गई थी।
सिसोदिया उन 15 लोगों में शामिल हैं जिनके खिलाफ सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की है। इस मामले में आबकारी अधिकारियों, शराब कंपनी के अधिकारियों, डीलरों के साथ कुछ अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। प्राथमिकी में कहा गया है कि "मामले में तथ्य प्रथम दृष्टया अपराधों के कमीशन का खुलासा करते हैं" आरोपी के खिलाफ धारा 120-बी, 477 ए आईपीसी और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत दंडनीय है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रविवार को आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं के लिए आठ आरोपियों - सभी निजी व्यक्तियों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया। यह आरोप लगाया गया था कि आबकारी नीति में संशोधन सहित अनियमितताएं की गई थीं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया था जिसमें लाइसेंस शुल्क में छूट या कमी, अनुमोदन के बिना एल -1 लाइसेंस का विस्तार आदि शामिल थे।