मंदी पर निर्मला सीतारमण के पति ने कहा, 'सरकार अब भी इनकार के मोड में, राव-मनमोहन सिंह की नीतियों के पास जाने की जरूरत'
By विनीत कुमार | Published: October 14, 2019 03:35 PM2019-10-14T15:35:59+5:302019-10-14T15:36:15+5:30
निर्मला सीतारमण के पति प्रभाकर ने अंग्रेजी अखबार के लिए लिखे लेख में कहा कि बीजेपी को 'नेहरूवादी समाजवाद' की नीतियों की 'आलोचना' के बजाय पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के आर्थिक मॉडल को अपनाना चाहिए
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति और आंध्र प्रदेश सरकार के पूर्व संचार सलाहकार पराकला प्रभाकर ने मौजूदा आर्थिक हालात पर चिंता जताते हुए कहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी नई नीति बनाने को लेकर कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखाई है।
अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' के लिए लिखे लेख में प्रभाकर ने कहा कि बीजेपी को नेहरूवादी समाजवाद की नीतियों की 'समीक्षा' के बजाय पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के आर्थिक मॉडल को अपनाना चाहिए, जिसने अर्थव्यवस्था में उदारीकरण का रास्ता दिखाया। निर्मला सीतारमण के पति, 60 साल के पराकला प्रभाकर अर्थशास्त्री भी हैं।
प्रभाकर ने अपने इस लेख में आरोप लगाया है कि सरकार अब भी मंदी के हालात से इनकार करने के अंदाज में चल रही है। प्रभाकर ने लिखा, 'सरकार भले ही अब भी इनकार के मोड में है, लेकिन जो भी डाटा सामने आ रहे हैं वह दिखाते हैं कि एक सेक्टर के बाद दूसरा सेक्टर लगातार चुनौतीपूर्णा हालात का सामना कर रहे हैं।'
पराकला प्रभाकर के अनुसार बीजेपी की एक मुश्किल ये है कि वह कारणों को मानना नहीं चाहती है। प्रभाकर ने लिखा, 'समाज के नेहरूवादी समाजवाद को अस्वीकार करने की नीति भारतीय जनसंघ के दिनों से ही रही है। आर्थिक नीति के तौर पर पार्टी ने केवल 'नेती नेती' (ये नहीं, ये नहीं) की नीति अपनाई है लेकिन ये कभी नहीं बताया कि उसकी अपनी नीति क्या है।'
प्रभाकर ने इस बात का भी उल्लेख किया कि बीजेपी के दोबारा सत्ता में आने के अभियान में अर्थव्यस्था का रोड मैप हिस्सा ही नहीं था। उन्होंने लिखा, 'जिन मुद्दों ने पार्टी को केंद्र और देश के कई दूसरे राज्यों में सत्ता पर पहुंचाया, उनका अर्थव्यवस्था के रोड मैप और फिर उसके लागू होने से शायद ही कोई रिश्ता रहा है।'
प्रभाकर के अनुसार, 'पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के द्वारा उठाये गये कदम का अब भी कोई जवाब नहीं है। लगभग हर पार्टी जो सरकार बनाती है या फिर सरकार का हिस्सा बनती है, या सरकार को बाहर से समर्थन देती है, वह उस दृष्टिकोण को गले लगाती है।'