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दो दिन पहले आए तेज भूकंप और चमोली ग्लेशियर के फटने का है आपस में कनेक्शन!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: February 15, 2021 09:05 IST

वैज्ञानिक ये आशंका जता रहे हैं चमोली की घटना भूकंप के कारण हुई. ऐसी आशंका है जिस भूकंप को दो दिन पहले महसूस किया गया, वो संभवत: पिछले कुछ दिनों से हिमालयन बेल्ट में धरती के निचले हिस्से को हिला रहा था.

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ठळक मुद्देचमोली में ग्लेशियर फटने की एक वजह बढ़ते तापमान और पर्यावरण असंतुलन को माना जा रहा है हाल में भूकंप के जो तेज झटके उत्तर भारत में महसूस हुए, उससे भी अब ग्लेशियर फटने की घटना को जोड़ कर देख रहे हैं वैज्ञानिकनेपाल में 2015 में आए विनाशकारी भूकंप से पहले और बाद में हिमालय के कई ग्लेशियर दरक गए और फट गए थे

देहरादून: चमोली में ग्लेशियर क्यों फटा, इसको लेकर देश और दुनियाभर के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं. पहली नजर में यही माना जा रहा है कि बढ़ते तापमान की वजह से हुए पर्यावरण असंतुलन के कारण ही ग्लेशियर फटा. लेकिन इसका एक पहलू और भी है.

दो दिन पहले पूरे उत्तरी भारत में जिस तरीके से भूकंप के झटके महसूस किए गए, उससे वैज्ञानिकों को इस बात का अंदेशा और बढ़ गया है कि चमोली में हुई घटना भूकंप की वजह से हुई. जिस भूकंप को हम लोगों ने दो दिन पहले महसूस किया. वह पिछले कुछ दिनों से हिमालयन बेल्ट में धरती के निचले हिस्से को हिला रहा था. इस वजह से हिमालय के बहुत से रीजन में ऐसी हलचल बनी हुई थी.

हिमालयन रीजन में ग्लेशियर से जुड़ी ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं

भू वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में भी ऐसी घटनाएं सामने आ सकती हैं, जिससे और बड़ी घटना होने का अंदेशा है. देश के वरिष्ठ भूवैज्ञानिक और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अपर महानिदेशक रहे डॉ. सोमनाथ चंदेल कहते हैं कि चमोली की घटना हिमालय में धरती के नीचे मची हलचल की वजह से हुई है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता.

डॉ. चंदेल कहते हैं कि अगर सैटेलाइट इमेज का अध्ययन किया जाए तो पता चलेगा कि हिमालयन रीजन में ग्लेशियर की ऐसी घटनाएं बीते कुछ सालों में लगातार हो रहीं हैं. उनका मानना है कि चमोली की घटना भी पहले से आ रहे भूकंप की वजह से हुई. फिर इसके साथ और भी कई पर्यावरणीय कारक जुड़ते गए.

नेपाल में भी फटा था ग्लेशियर

डॉ. चंदेल कहते हैं कि 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के वक्त उन्होंने इस भूकंप और उसके कारणों को बारीकी से अध्ययन किया था. उन्होंने पाया था कि जब नेपाल में भूकंप आया उससे पहले और बाद में हिमालय के कई ग्लेशियर दरक गए और फट गए.

उनकी रिपोर्ट में सामने आया था कि ग्लेशियर फटने से 22 से ज्यादा लोगों की जान चली गईं थीं. नार्थ ईस्ट और नार्थ वेस्ट में ज्यादा हलचल पूरे देश में भूकंप के लिहाज से कई खतरनाक जोन हैं.

ये जोन सिस्मिक जोन कहलाते हैं. इसमें मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ी इलाके तक शामिल हैं. जिसमें उत्तर भारत से लेकर मध्य भारत के कई राज्य और प्रमुख शहर शामिल हैं.

टॅग्स :भूकंपउत्तराखण्ड
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