SCO बैठक में जयशंकर ने आतंकवाद पर की बात, कहा- सीमा पार आतंकवाद समेत इसके सभी स्वरूपों का खात्मा किया जाना चाहिए
By मनाली रस्तोगी | Published: May 5, 2023 11:42 AM2023-05-05T11:42:54+5:302023-05-05T11:44:10+5:30
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में कहा कि मैं भारत एससीओ में बहुपक्षीय सहयोग के विकास को और शांति एवं स्थिरता के संवर्धन को बहुत महत्व देता है। उन्होंने ये भी कहा कि एससीओ की हमारी अध्यक्षता के तहत, हमने 100 से अधिक बैठक और कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किये जिनमें 15 मंत्री स्तरीय बैठकें शामिल हैं।
जयशंकर ने कहा कि कोविड-19, भू-राजनीतिक उतार-चढ़ाव के कारण दुनिया अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है, इन घटनाक्रम से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं अवरुद्ध हुई हैं। जब दुनिया कोविड-19 महामारी और इसके प्रभावों से निपटने में लगी थी, आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि आतंकवाद की अनदेखी करना हमारे सुरक्षा हितों के लिए नुकसानदेह होगा।
#WATCH | The menace of terrorism continues unabated. We firmly believe that there can be no justification for terrorism and it must be stopped in all its forms and manifestations including cross-border terrorism. Combating terrorism is one of the original mandates of SCO...: EAM… pic.twitter.com/xsdqz1Tz0I
— ANI (@ANI) May 5, 2023
उन्होंने आगे कहा कि हम इस बात को मजबूती से मानते हैं कि आतंकवाद को कभी जायज नहीं ठहराया जा सकता, सीमा पार आतंकवाद समेत इसके सभी स्वरूपों का खात्मा किया जाना चाहिए। जयशंकर ने एससीओ की बैठक में कहा कि आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तपोषण के सभी तरीकों को रोका जाना चाहिए। अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर हमारी नजर है, अफगान जनता के कल्याण की दिशा में प्रयास हों।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में अभी हमारी प्राथमिकताओं में मानवीय सहायता पहुंचाना, समावेशी सरकार सुनिश्चित करना और आतंकवाद से लड़ना शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि एससीओ के सुधार और आधुनिकीकरण के मुद्दों पर चर्चा पहले ही शुरू हो चुकी है... मैं एससीओ की तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में अंग्रेजी को बनाने की भारत की लंबे समय से चली आ रही मांग के लिए सदस्य देशों का समर्थन भी चाहता हूं ताकि अंग्रेजी बोलने वाले सदस्य राज्यों के साथ गहरा जुड़ाव सक्षम करें।