चक्रवात तूफान में गिर नेशनल पार्क में उखड़ गए 35 लाख से ज्यादा पेड़, एक साल बाद आई रिपोर्ट, अब सामने है ये चुनौती
By विनीत कुमार | Published: August 5, 2022 02:24 PM2022-08-05T14:24:56+5:302022-08-05T14:24:56+5:30
गुजरात के गिर नेशनल पार्क में तौकते तूफान से पिछले साल 35 लाख से ज्यादा पेड़ उखड़ गए। एक रिपोर्य में यह बात कही गई है। अधिकारियों के सामने इन गिरे हुए पेड़ों को हटाने की चुनौती है।
अहमदाबाद: पिछले साल आए चक्रवात तूफान तौकते से गुजरात के गिर नेशनल पार्क में 35 लाख से अधिक पेड़ उखड़ गए। पिछले साल मई में तौकते तूफान ने भारत के पश्चिमी तट पर दस्तक दी थी और व्यापक तबाही मचाई थी। राज्य के वन विभाग ने कई सर्वेक्षणों के बाद अब इस तूफान से गिर में नुकसान हुए पेड़ों को लेकर अंतिम निष्कर्ष निकाला जा सका है।
हालांकि, कई विशेषज्ञों ने कहा कि पेड़ों का हुआ ये नुकसान शेरों के लिए मुफीद है क्योंकि वे अक्सर खुले जमीन को पसंद करते हैं। वहीं, साथ ही ये भी चिंता उभर आई है कि खुले जमीन होने से शेर सहित दूसरे जानवर आने वाले समय में अभयारण्य के इस प्रभावित संरक्षित क्षेत्र से बाहर धकेले जा सकते है।
2019 की गिनती के अनुसार गुजरात के 674 एशियाई शेरों में से लगभग आधे 325 से 350 शेर इस 1412 वर्ग किलोमीटर में फैले अभयारण्य में रहते हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ के सदस्य एचएस सिंह ने कहा कि इन पेड़ों के एक साल में सूख जाने के बाद जंगल की आग का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में यह शेरों के लिए खतरे वाली बात होगी जिनकी आबादी पिछले 10 से 12 वर्षों में गिर में स्थिर हो गई है। उन्होंने कहा, 'नीलगाय जैसे शाकाहारी जानवर भी स्वतंत्र रूप से विचरण करने में सक्षम नहीं होंगे।'
उन्होंने कहा कि शेर खुली जगह पसंद करते हैं लेकिन ये भी कुछ हद तक होता है। उन्होंने कहा कि गिड़े हुए पेड़ों को उन क्षेत्रों से हटा दिया जाना चाहिए, जहां वन्यजीवों की आवाजाही अधिक होती है। उन्होंने कहा कि सभी पेड़ों को हटाने की जरूरत नहीं है पर लगभग 40% को हटाया जाना चाहिए।
वैसे पेड़ों को जल्द हटाए जाने की संभावना नहीं है क्योंकि उनकी संख्या नवंबर 1982 में गुजरात में आए चक्रवात में गिर (2.8 मिलियन से अधिक) में क्षतिग्रस्त पेड़ों की तुलना में अधिक है। सिंह ने कहा कि 1980 के दशक में लगभग 40% गिरे हुए पेड़ों को साफ करने में करीब तीन साल लग गए थे।
चक्रवात तौकते के एक साल बाद गिरे पेड़ों पर वन विभाग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी है। इसने 1982 में हुए नुकसान के आधार पर पिछले साल मई में उनकी संख्या 3 से 4 मिलियन के बीच होने का अनुमान लगाया था।