रेमडेसिविर की कालाबाजारी डॉक्टरों को पड़ी भारी, कोर्ट ने कहा- कोविड-19 रोगियों की करो सेवा
By गुणातीत ओझा | Published: April 30, 2021 04:05 PM2021-04-30T16:05:26+5:302021-04-30T18:56:02+5:30
सूरत पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पांच लोगों को 25 अप्रैल को पकड़ा था। पुलिस ने डॉक्टर डाभी और घोघारी को भी गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उनसे इंजेक्शन की तीन शीशियां भी बरामद की थीं।
सूरत। गुजरात के सूरत शहर की एक अदालत ने दो निजी चिकित्सकों को इस शर्त पर जमानत दी है कि वे सूरत सिविल अस्पताल में 15 दिन तक कोविड-19 रोगियों की देखभाल करेंगे। दोनों चिकित्सकों को कथित तौर पर रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते पकड़ा गया था। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आर. ए. अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को यह आदेश पारित किया। अदालत ने डॉ. साहिल घोघारी और डॉ. हितेश डाभी से कहा कि शुक्रवार से 15 दिन के लिए सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस रोगियों की सेवा करें। दोनों चिकित्सक सूरत के निवासी हैं और निजी तौर पर मेडिकल प्रैक्टिस करते हैं।
रेमडेसिविर की तीन शीशियां हुई थी बरामद
उन्हें जमानत देते हुए मजिस्ट्रेट ने कहा कि महामारी के कारण ‘‘चिकित्सकों की कमी है’’ और ‘‘यह समाज के हित में है’’ कि दोनों चिकित्सकों को ‘‘कोविड-19 से पीड़ित लोगों का उपचार’’ करने के लिए सिविल अस्पताल में तैनात किया जाए। अदालत ने सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कहा कि दोनों चिकित्सकों की सेवा हासिल करने के लिए आवश्यक प्रबंध किए जाएं और 15 दिन के बाद उनके काम को लेकर रिपोर्ट सौंपी जाए। इसने आरोपी चिकित्सकों को अदालत की अनुमति के बगैर गुजरात नहीं छोड़ने के आदेश दिए। सूरत पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पांच लोगों को 25 अप्रैल को पकड़ा था जिसमें डाभी और घोघारी भी थे। पुलिस ने उनसे इंजेक्शन की तीन शीशियां भी बरामद की थीं।
नेताओं के रेमडेसिविर खरीदने की सीबीआई जांच कराने का अनुरोध
कुछ दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर नेताओं के कोविड-19 के इलाज के लिए रेमडेसिविर खरीदने और वितरित करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और इनकी सीबीआई से जांच कराने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि जब मरीज इस दवाई के लिए जगह जगह भटक रहे हैं तो नेताओं को यह दवाई कैसे मिल रही है। याचिका में सवाल किया गया है कि नेता ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स कानून के तहत आवश्यक अनुमति के बिना बड़ी मात्रा में दवाइयां कैसे खरीद पा रहे हैं जबकि आम जनता को यह दवा नहीं मिल रही है।
नेता मेडिकल माफिया को संरक्षण दे रहे हैं
याचिकाकर्ता हृदृय फाउंडेशन के अध्यक्ष और राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज दीपक सिंह ने दलील दी, ‘‘अपने राजनीतिक लाभ के लिए किसी को दवाइयां देने से इनकार करना बहुत गंभीर प्रकृति का अपराध है और इससे देशभर में कोविड-19 मरीजों पर असर पड़ रहा है।’’ सिंह की ओर से पेश हुए वकील विराग गुप्ता ने आरोप लगाया कि नेता बड़े पैमाने पर रेमडेसिविर जैसी अहम दवाइयों की जमाखोरी करने और उनके वितरण में शामिल हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है, ‘‘राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक शक्तियों का फायदा उठा रहे हैं और मेडिकल माफिया को संरक्षण दे रहे हैं।’’ याचिका में प्राथमिकी दर्ज करने और सीबीआई जांच के अलावा ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1980 के तहत कोविड-19 दवाओं की काला बाजारी में शामिल लोगों को हिरासत में लेने तथा कोविड-19 दवाओं की जमाखोरी तथा अवैध वितरण में शामिल पाए जाने वाले सांसदों तथा विधायकों को अयोग्य करार देने’’ का भी अनुरोध किया गया है।