लाइव न्यूज़ :

शादी विवाह और जन्मदिन पर बजा सकते हैं डीजे, सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार को झटका, पाबंदी पर रोक लगा दी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 20, 2019 19:58 IST

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तेज आवाज में डीजे बजाने से ध्वनि प्रदूषण होने के आधार पर 20 अगस्त को इन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने विवाह का मौसम शुरू होने से ठीक पहले प्राधिकारियों को निर्देश दिया की कानून के अनुसार डीजे आपरेटरों को इसकी अनुमति दी जाये।

Open in App
ठळक मुद्देआदेश की वजह से राज्य में डिस्क जॉकी बेरोजगार हो रहे हैं और उनके सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है।इस पर पूरी तरह प्रतिबंध की वजह से वे अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं।

उत्तर प्रदेश में शादी विवाह और जन्म दिन के कार्यक्रमों के अवसर पर डीजे बजाकर जीविकोपार्जन करने वाले डिस्क जॉकियों को राहत प्रदान करते हुये उच्चतम न्यायालय ने इन पर लगाई गई पाबंदी पर रोक लगा दी है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तेज आवाज में डीजे बजाने से ध्वनि प्रदूषण होने के आधार पर 20 अगस्त को इन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने विवाह का मौसम शुरू होने से ठीक पहले प्राधिकारियों को निर्देश दिया की कानून के अनुसार डीजे आपरेटरों को इसकी अनुमति दी जाये।

बुन्देलखंड साउण्ड एंड डीजे एसोसिएशन के 13 सदस्यों की ओर से अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश की वजह से राज्य में डिस्क जॉकी बेरोजगार हो रहे हैं और उनके सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि शादी-विवाह, जन्म दिन और इसी तरह के अन्य आयोजनों के दौरान संगीत बजाने के दौरान मिलने वाली राशि ही इन डीजे की आजीविका का साधन था लेकिन इस पर पूरी तरह प्रतिबंध की वजह से वे अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं।

पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि शीर्ष अदालत ने 14 अक्टूबर को राज्य सरकार से जवाब मांगते हुये डीजे बजाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला विचार के लिये लंबित होने के दौरान उन्हीं शर्तो पर अंतरिम निर्देश देते हैं और जब भी कोई आवेदन दायर किया जाता है तो उस पर संबंधित प्राधिकारी उस पर विचार करेंगे और यदि वह कानून सम्मत हो तो उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद इसकी अनुमति दे सकते हैं।

पीठ ने कहा कि इस मामले में अब 16 दिसंबर को आगे सुनवाई की जायेगी। पाराशर ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका पर इस तरह का निर्देश नहीं दिया था बल्कि दो व्यक्तियों द्वारा एक विशेष रिहाइशी इलाके में ध्वनि प्रदूषण को लेकर दायर याचिका पर यह आदेश दिया। 

टॅग्स :उत्तर प्रदेशयोगी आदित्यनाथसुप्रीम कोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

भारतUP: बूथ पर बैठकर मंत्री और विधायक SIR का फार्म भरवाए, सीएम योगी ने दिए निर्देश, राज्य में 15.44 करोड़ मतदाता, पर अभी तक 60% से कम ने फार्म भरे गए

ज़रा हटकेVIDEO: सीएम योगी ने मोर को अपने हाथों से दाना खिलाया, देखें वीडियो

भारतयूपी में निजी संस्थाएं संभालेंगी 7,560 सरकारी गोआश्रय स्थल, पीपीपी मॉडल पर 7,560  गोआश्रय स्थल चलाने की योजना तैयार

भारतSupreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

भारतमुजफ्फरनगर की मस्जिदों से 55 से ज्यादा लाउडस्पीकर हटाए गए

भारत अधिक खबरें

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत

भारतआखिर गरीब पर ही कार्रवाई क्यों?, सरकारी जमीन पर अमीर लोग का कब्जा, बुलडोजर एक्शन को लेकर जीतन राम मांझी नाखुश और सम्राट चौधरी से खफा

भारतलालू प्रसाद यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव पर ₹356000 बकाया?, निजी आवास का बिजली कनेक्शन पिछले 3 साल से बकाया राशि के बावजूद चालू

भारत2026 विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में हलचल, मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की आधारशिला, हुमायूं कबीर ने धर्मगुरुओं के साथ मिलकर फीता काटा, वीडियो

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल