Lok Sabha Election 2024: कश्मीरी विस्थापित मतदाता इस बार भी बिना संसदीय क्षेत्रों के मतदाता बने रहेंगें

By सुरेश एस डुग्गर | Published: March 24, 2024 10:42 AM2024-03-24T10:42:25+5:302024-03-24T10:44:01+5:30

कश्मीरी विस्थापित मतदाता इस बार भी बिना संसदीय क्षेत्रों के मतदाता बने रहेंगें और उन्हें इस बार भी कश्मीर के उन संसदीय क्षेत्रों के लिए जम्मू में ही मतदान करना होगा जहां से पलायन किए हुए उन्हें 34 साल हो गए हैं।

Displaced Kashmiris Will remain voters without parliamentary constituencies | Lok Sabha Election 2024: कश्मीरी विस्थापित मतदाता इस बार भी बिना संसदीय क्षेत्रों के मतदाता बने रहेंगें

फाइल फोटो

Highlightsभारत के चुनाव आयोग ने कश्मीरी विस्थापित मतदाताओं के लिए फिर से घोषणा की हैकश्मीर के करीब 6 जिलों के 46 विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता आज जम्मू में रह रहे हैंचुनाव आयोग ने कश्मीरी प्रवासियों को निर्दिष्ट और अधिसूचित निर्वाचक के रूप में वर्गीकृत करते हुए दो अधिसूचनाएं जारी की हैं

कश्मीरी विस्थापित मतदाता इस बार भी बिना संसदीय क्षेत्रों के मतदाता बने रहेंगें और उन्हें इस बार भी कश्मीर के उन संसदीय क्षेत्रों के लिए जम्मू में ही मतदान करना होगा जहां से पलायन किए हुए उन्हें 34 साल हो गए हैं। दरअसल कश्मीरी विस्थापितों को डाक मतपत्रों और जम्मू, उधमपुर और नई दिल्ली में स्थापित विशेष मतदान केंद्रों के माध्यम से मतदान करने की सुविधा प्रदान करने की पिछली प्रथा को जारी रखते हुए, भारत के चुनाव आयोग ने कश्मीरी विस्थापित मतदाताओं के लिए फिर से घोषणा की है।

आयोग के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की कश्मीर घाटी में 1-बारामुल्ला, 2-श्रीनगर और 3-अनंतनाग-राजौरी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के उन सभी मतदाताओं के लिए है, जो मजबूर परिस्थितियों के कारण पलायन कर गए थे और अस्थायी रूप से विभिन्न स्थानों पर रह रहे हैं। उनके सामान्य निवास स्थान से बाहर के स्थान।

चुनाव आयोग ने कश्मीरी प्रवासियों को निर्दिष्ट और अधिसूचित निर्वाचक के रूप में वर्गीकृत करते हुए दो अधिसूचनाएं जारी की हैं। पहली अधिसूचना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 25 के साथ पढ़े गए संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत आयोग में निहित शक्तियों के तहत जारी की गई है, जो कश्मीर घाटी के प्रवासी मतदाताओं को निर्दिष्ट करती है जो किसी भी संसदीय में नामांकित हैं।

बारामुल्ला, श्रीनगर और अनंतनाग-राजौरी के निर्वाचन क्षेत्र, लेकिन अपने सामान्य निवास स्थान से बाहर रहने वाले, (उन लोगों के अलावा जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 60 के खंड (सी) के तहत डाक मतपत्र का विकल्प चुनते हैं) के वर्ग के रूप में वे व्यक्ति जिनके लिए 2024 में होने वाले केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लोक सभा के आम चुनाव के दौरान ऊपर उल्लिखित संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की क्षेत्रीय सीमाओं के बाहर विशेष मतदान केंद्र प्रदान किए जाएंगे।

इसी तरह अन्य अधिसूचना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 60 (सी) के तहत जारी की गई है, जिसमें 1-बारामूला, 2-श्रीनगर और 3- के संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में नामांकित कश्मीर घाटी के उपरोक्त प्रवासी मतदाताओं को सूचित किया गया है। अनंतनाग-राजौरी, जो अपने सामान्य निवास स्थान से बाहर रह रहे हैं, (उन लोगों के अलावा जो विशेष मतदान केंद्रों पर व्यक्तिगत रूप से मतदान करने का विकल्प चुनते हैं), डाक मतपत्रों द्वारा अपना वोट देने वाले व्यक्तियों के वर्ग के रूप में।

सच में है तो बड़ी अजीब बात लेकिन जम्मू कश्मीर में यह पूरी तरह से सच है। कभी आपने ऐसे मतदाता नहीं देखें होंगें जो बिना लोकसभा क्षेत्र के हों। यहां पर हैं। वे भी एक दो सौ-पांच सौ नहीं बल्कि पूरे सवा लाख। और ये मतदाता जिन्हें कश्मीरी विस्थापित कहा जाता है पिछले 34 सालों में होने वाले उन लोकसभा तथा विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतदान करते आ रहे हैं जहां से पलायन किए हुए उन्हें 34 साल का अरसा बीत गया है।

देखा जाए तो कश्मीरी पंडितों के साथ यह राजनीतिक नाइंसाफी है। कानून के मुताबिक, अभी तक उन्हें उन क्षेत्रों के मतदाताओं के रूप में पंजीकृत हो जाना चाहिए जहां वे रह रहे हैं लेकिन सरकार ऐसा करने को इसलिए तैयार नहीं है क्योंकि वह समझती है कि ऐसा करने से कश्मीरी विस्थापितों के दिलों से वापसी की आस समाप्त हो जाएगी।

नतीजतन कश्मीर के करीब 6 जिलों के 46 विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता आज जम्मू में रह रहे हैं। इनमें से श्रीनगर जिले के सबसे अधिक मतदाता हैं। तभी तो कहा जाता रहा है कि श्रीनगर जिले की 8 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वाले मतदाताओं का भविष्य इन्हीं विस्थापितों के हाथों मंे होता है जिन्हें हर बार उन विधानसभा तथा लोकसभा क्षेत्रों के लिए मतदान करना पड़ा है जहां अब लौटने की कोई उम्मीद उन्हें नहीं है। और अब एक बार फिर उन्हें इन्हीं लोकसभा क्षेत्रों से खड़े होने जा रहे उम्मीदवारों को जम्मू या फिर देश के अन्य भागों में बैठ कर चुनना है।

Web Title: Displaced Kashmiris Will remain voters without parliamentary constituencies