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टूलकिट मामले में दिशा रवि को जमानत मिली: अदालत ने कहा, साक्ष्य अल्प एवं अधूरे

By भाषा | Updated: February 23, 2021 20:17 IST

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नयी दिल्ली, 23 फरवरी दिल्ली पुलिस को झटका देते हुए, राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने सोशल मीडिया पर किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित "टूलकिट" कथित रूप से साझा करने के मामले में गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को मंगलवार को यह कहकर जमानत दे दी कि पुलिस द्वारा पेश किए गए साक्ष्य ‘‘अल्प एवं अधूरे’’ हैं।

अदालत ने कहा कि दिशा रवि और ‘पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन’ (पीजेएफ) के खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ताओं के बीच प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।

अदालत ने कहा कि रत्ती भर भी सबूत नहीं है जिससे 26 जनवरी को हुई हिंसा में शामिल अपराधियों से पीएफजे या रवि के किसी संबंध का पता चलता हो।

इसके अलावा, अदालत ने कहा कि प्रत्यक्ष तौर पर ऐसा कुछ भी नजर नहीं आता जो इस बारे में संकेत दे कि दिशा रवि ने किसी अलगाववादी विचार का समर्थन किया है।

अदालत ने कहा कि दिशा रवि और प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के बीच प्रत्यक्ष तौर पर कोई संबंध स्थापित नजर नहीं आता है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने रवि को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत भरने पर यह राहत दी।

अदालत ने कहा कि अभियुक्त का स्पष्ट तौर पर कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।

न्यायाधीश ने कहा, "अल्प एवं अधूरे साक्ष्यों’’ को ध्यान में रखते हुए, मुझे 22 वर्षीय लड़की के लिए जमानत न देने का कोई ठोस कारण नहीं मिला, जिसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।"

न्यायाधीश ने कहा कि उक्त 'टूलकिट' के अवलोकन से पता चलता है कि उसमें किसी भी तरह की हिंसा के लिए कोई भी अपील नहीं की गई है।

अदालत ने कहा, ‘‘मेरे विचार से, किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए नागरिक सरकार की अंतरात्मा के संरक्षक होते हैं। उन्हें केवल इसलिए जेल नहीं भेजा जा सकता क्योंकि वे सरकार की नीतियों से असहमत हैं।"

अदालत ने कहा कि किसी मामले पर मतभेद, असहमति, विरोध, असंतोष, यहां तक कि अस्वीकृति, राज्य की नीतियों में निष्पक्षता को निर्धारित करने के लिए वैध उपकरण हैं।

अदालत ने कहा, "उदासीन और मौन नागरिकों की तुलना में जागरूक एवं प्रयासशील नागरिक निर्विवाद रूप से एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र का संकेत है।"

अदालत ने कहा, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत असंतोष व्यक्त करने का अधिकार निहित है। मेरे विचार से बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में वैश्विक आह्वान करने का अधिकार शामिल है।’’

अदालत ने कहा, "संचार पर कोई भौगोलिक बाधाएं नहीं हैं। एक नागरिक को यह मौलिक अधिकार हैं कि वह संचार प्रदान करने और प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम साधनों का उपयोग कर सके।" उसने कहा कि एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाना या एक हानिरहित टूलकिट का संपादक होना कोई अपराध नहीं है।

अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी को अनुकूल पूर्वानुमानों के आधार पर नागरिक की स्वतंत्रता को और प्रतिबंधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

गौरतलब है कि रवि को दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ की एक टीम बेंगलुरु से गिरफ्तार कर दिल्ली लाई। उसकी पुलिस हिरासत की अवधि आज समाप्त हो रही है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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