कमलनाथ के हर फैसले में दिख रही है दिग्विजय सिंह की झलक, ये रहे पांच फैसले
By विकास कुमार | Published: January 3, 2019 12:26 PM2019-01-03T12:26:31+5:302019-01-03T12:26:31+5:30
कमलनाथ के शपथ-ग्रहण समारोह के दौरान दिग्विजय सिंह ही मंच पर सारा तामझाम संभाले हुए थे. ऐसा लग रहा था कि कमलनाथ के रूप में दिग्विजय सिंह शपथ ले रहे हों. लेकिन हाल के दिनों में परिस्थितयां बदली हैं.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल ही में विधानसभा में वन्दे मातरम गाने पर रोक लगाया है. ये वही कमलनाथ हैं जिनका एक वीडियो विधानसभा चुनाव के दौरान वायरल हुआ था, जिसमें मुस्लिम वोटों के बटोरने पर रणनीतियां बनायी जा रहीं थी. मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की भूख का प्रयास अभी भी जारी है, क्योंकि आगे लोकसभा चुनाव है.
कमलनाथ संजय गांधी के सबसे करीबी और जिगरी दोस्तों में एक थे. और संजय गांधी की छवि हमेशा से मुस्लिम विरोधी की रही. उस दौर में कमलनाथ संजय गांधी के दाहिना हांथ कहलाते थे लेकिन आज जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री के दाहिना हांथ की तरह काम कर रहे है. उनके हर फैसले में दिग्विजय सिंह की झलक दिख रही है.
मध्य प्रदेश में चुनाव के नतीजे के बाद से ही कमलनाथ को हर कदम पर दिग्विजय सिंह का साथ मिला. ज्योतिरादित्य सिंधिया के लाख प्रयास के बावजूद उन्हें प्रदेश का कमान नहीं मिला. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि दिग्विजय सिंह का हांथ कमलनाथ के माथे पर अनवरत बना हुआ था. मुख्यमंत्री के कैबिनेट में भी इसका असर देखने को मिला. दिग्विजय सिंह यहां भी सिंधिया पर भारी पड़ गए. लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब दिग्विजय को पीछे हटना पड़ा.
दरअसल दिग्विजय सिंह अपने बेटे को वित्त मंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन सिंधिया के विरोध के बाद उन्हें नगरीय विकास का जिम्मा दिया गया. वित्त मंत्री का पद तरुण भनोट को दिया गया जो 12वीं पास हैं, लेकिन कमलनाथ के करीबी हैं. फिलहाल कमलनाथ के मंत्रिमंडल में 28 में 12 दिग्विजय समर्थक मौजूद हैं जो ये बताने के लिए काफी है कि सरकार अभी भले ही कमलनाथ चला रहे हैं लेकिन आखिर क्यों उनके हर फैसले में दिग्विजय सिंह की छाप देखने को मिल रही है.
कमलनाथ के शपथ-ग्रहण समारोह के दौरान दिग्विजय सिंह ही मंच पर सारा तामझाम संभाले हुए थे. ऐसा लग रहा था कि कमलनाथ के रूप में दिग्विजय सिंह शपथ ले रहे हों. लेकिन हाल के दिनों में परिस्थितयां बदली हैं. सपा और बसपा के विधायक मंत्री नहीं बनाये जाने से नाराज चल रहे हैं. मायावती ने भी समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी. अगर कमलनाथ अपने हर फैसले से पहले दिग्विजय सिंह की और देखेंगे तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया का वर्चस्व कमलनाथ भी ज्यादा दिन तक थाम नहीं पाएंगे. ऐसे में दिग्गी राजा पर उनकी अति निर्भरता उन्हें राजनीतिक रूप से अपाहिज बन सकता है. कमलनाथ अपने बेटे को आगे प्रदेश की राजनीति में देखना चाहेंगे लेकिन दिग्विजय को ओवर एक्सेस देने से जयवर्धन सिंह की राहें आसान हो रही हैं.