विधानसभा में राज्यपाल के लिए प्रवेश द्वार बंद मिलने पर टीएमसी सरकार पर बिफरे धनखड़

By भाषा | Published: December 6, 2019 06:04 AM2019-12-06T06:04:38+5:302019-12-06T06:04:38+5:30

तृणमूल कांग्रेस ने त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त की और राज्य का प्रशासनिक प्रमुख बनने की आकांक्षा को लेकर राज्यपाल की आलोचना की। राज्यपाल ने बाद में गेट नंबर दो से विधानसभा परिसर में प्रवेश किया।

Dhankhar angry at TMC government for getting entrance shut for governor in assembly | विधानसभा में राज्यपाल के लिए प्रवेश द्वार बंद मिलने पर टीएमसी सरकार पर बिफरे धनखड़

विधानसभा में राज्यपाल के लिए प्रवेश द्वार बंद मिलने पर टीएमसी सरकार पर बिफरे धनखड़

Highlightsपश्चिम बंगाल विधानसभा परिसर में बृहस्पतिवार को उस वक्त एक नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिलावहां पहुंचे राज्यपाल को विधानसभा के बाहर इंतजार करना पड़ा।

\पश्चिम बंगाल विधानसभा परिसर में बृहस्पतिवार को उस वक्त एक नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला, जब वहां पहुंचे राज्यपाल को विधानसभा के बाहर इंतजार करना पड़ा। दरअसल, राज्यपाल के प्रवेश के लिए निर्दिष्ट द्वार बंद था और स्पीकर तथा कर्मचारी वहां नहीं पाये गए। इस पर, बिफरे धनखड़ ने कहा कि राज्यपाल पद के साथ किए गए अपमान ने देश के लोकतांत्रिक इतिहास को ‘शर्मसार’ किया है और राज्य में पिंजरे में कैद लोकतंत्र को प्रदर्शित किया है।

वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त की और राज्य का प्रशासनिक प्रमुख बनने की आकांक्षा को लेकर राज्यपाल की आलोचना की। राज्यपाल ने बाद में गेट नंबर दो से विधानसभा परिसर में प्रवेश किया। यह प्रवेश द्वार मीडियाकर्मियों और अधिकारियों के लिए है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा के नियमों के अनुसार द्वार संख्या तीन राज्यपाल के प्रवेश एवं निकास के लिए निर्दिष्ट है। राज्यपाल ने संवाददाताओं से कहा, “गेट नंबर तीन बंद क्यों है? मेरी पूर्व सूचना के बावजूद गेट बंद है।

विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने का मतलब यह नहीं है कि इसे (राज्यपाल के लिए निर्दिष्ट द्वार) बंद रखा जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल के लिये निर्दिष्ट प्रवेश द्वार के बंद होने ने हमारे देश के लोकतांत्रिक इतिहास को शर्मसार किया है। यह मेरा अपमान नहीं, बल्कि राज्य की जनता और संविधान का अपमान है।’’ राज्यपाल ने कहा कि यह घटना राज्य के लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा नहीं, बल्कि लोकतंत्र का अपमान किया जा रहा है। यह प्रदर्शित करता है कि हम लोकतंत्र को कैद करने की कोशिश कर रहे हैं। ’’ गौरतलब है कि धनखड़ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी को पत्र लिखकर वहां सुविधाएं देखने और पुस्तकालय जाने की भी इच्छा व्यक्त की थी।

राज्यपाल ने विधानसभा से बाहर आने के बाद कहा, ‘‘मैंने अपने आगमन के बारे में सूचित किया था, उसके बाद राजभवन के विशेष सचिव के पास विधानसभा अध्यक्ष की ओर से मुझे और मेरी पत्नी को दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित करने का एक संदेश आया। मैंने इसे स्वीकार कर लिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘संदेश प्राप्त करने के डेढ़ घंटे के भीतर मेरे विशेष सचिव को विधानसभा सचिव का एक और संदेश मिला जिसमें कहा गया कि आमंत्रण रद्द कर दिया गया है। उन्हें यह भी बताया गया कि मेरी यात्रा के दौरान विधानसभा के सचिव और विशेष सचिव उपस्थित नहीं होंगे।” उन्होंने कहा कि स्पीकर ने उन्हें दिये आमंत्रण को अचानक ही रद्द करते हुए इस बात का जिक्र किया कि वह उपलब्ध नहीं रहेंगे।

राज्यपाल ने कहा,‘‘मैं‍ हैरान हूं कि एक-डेढ़ घंटे के दौरान ऐसा क्या हुआ कि हर चीज बदल गई। आज जो हुआ है उससे राज्यपाल पद की गरिमा को ठेस पहुंची है और इस बारे में मैं विधानसभा अध्यक्ष को लिखूंगा।” लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक पदों की गरिमा को कमतर करने की कोशिश के लिए राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए राज्यपाल ने कहा कि वह सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की इस तरह की ‘हरकतों’ से हताश नहीं होंगे। बाद में राज्यपाल विधानसभा पुस्तकालय गये लेकिन उनके फोटोग्राफर को उनके साथ प्रवेश नहीं करने दिया गया क्योंकि विधानसभा कर्मचारी ने कहा कि फोटोग्राफर के पास इसके लिए पूर्व अनुमति नहीं है। बाद में वहां से बाहर निकलने के दौरान राज्यपाल ने विपक्ष के नेता एवं कांग्रेस नेता अब्दुल मनन से मुलाकात की। पूरी घटना पर प्रतिक्रिया के लिए स्पीकर को बार-बार फोन कॉल किए गए लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

वहीं, राज्यपाल के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्य संसदीय कार्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस नेता पार्था चटर्जी ने कहा कि राज्यपाल राज्य के प्रशासनिक प्रमुख की तरह व्यवहार करने की आकांक्षा कर रहे हैं और इस क्रम में वह बंगाल में अव्यवस्था पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें अपने संवैधानिक दायरे में संतुष्ट रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमसे सवाल करने से पहले उन्हें राजभवन का खर्च बढ़ कर सात करोड़ रुपये हो जाने पर जवाब देना चाहिए।’’ हालांकि, मनन ने राज्य सरकार की आलोचना की और कहा कि राज्यपाल का जिस तरह का अपमान किया गया वह अभूतपूर्व और अस्वीकार्य है। वहीं, भाजपा नेता मुकुल रॉय ने भी मनन के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कि किसी भी अन्य राज्य में एक संवैधानिक प्रमुख से इस तरह का अपमान नहीं किया जाता है। विधानसभा में भाजपा के नेता मनोज तिग्गा ने भी इस घटना की आलोचना की।

एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही अचानक ही दो दिनों के लिए पांच दिसंबर तक स्थगित कर दी थी। विधानसभा अध्यक्ष ने इसका कारण बताते हुए कहा था कि जो विधेयक विधानसभा में पेश किए जाने हैं उन्हें अभी तक राज्यपाल की सहमति नहीं मिली है। हालांकि, राजभवन ने इस दावे का खंडन किया था। राज्यपाल ने विधेयकों को सहमति देने में विलंब का जिक्र करते हुए कहा कि विधेयकों के बारे में सवालों का राज्य सरकार ने समाधान नहीं किया और वह ‘‘रबर स्टाम्प’’ की तरह कार्य नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, ‘‘भीड़ द्वारा पीट-पीट कर जाने वाली हत्या (लिंचिंग) रोधी जो विधेयक विधानसभा में पारित किया गया और जिस विधेयक के लिए मुझसे सहमति ली गई थी वे दोनों पूरी तरह से अलग हैं। सभी विपक्षी दलों ने इसकी शिकायत की। मैंने विधानसभा सचिवालय और सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है जो मिलना बाकी है।’’ उल्लेखनीय है कि जुलाई में धनखड़ के राज्यपाल का पदभार ग्रहण करने के बाद से ही उनकी और ममता बनर्जी सरकार के बीच कई मुद्दों पर रस्साकशी देखने को मिली है। भाषा सुभाष नरेश नरेश

Web Title: Dhankhar angry at TMC government for getting entrance shut for governor in assembly

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