धनबादः काले सोने का धंधा करीब 20000 करोड़ रुपए के पार, अवैध कोयला उत्खनन और तस्करी, जानें सबकुछ
By एस पी सिन्हा | Published: February 14, 2022 06:15 PM2022-02-14T18:15:38+5:302022-02-14T18:16:50+5:30
मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद पुलिस मुख्यालय द्वारा कोयला के अवैध उत्खनन और तस्करी को रोकने का आदेश जारी किया गया है.
धनबादः झारखंड में बडे़ पैमाने पर अवैध कोयला उत्खनन और तस्करी की जा रही है. इस तस्करी का खेल इसी बात से समझा जा सकता है कि करीब 20 हजार करोड़ रुपए के अवैध कोयला कारोबार में यहां फलफूल रहा है. राज्य में धनबाद जिले के साथ ही रामगढ़, चतरा और लातेहार जिलों में कोयला का अवैध उत्खनन हो रहा है.
बताया जाता है कि पिछले दिनों मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद पुलिस मुख्यालय द्वारा कोयला के अवैध उत्खनन और तस्करी को रोकने का आदेश जारी किया गया है. बावजूद इसके यह धंधा बदस्तूर जारी है. इस मामले में पुलिस मुख्यालय के आइजी(अभियान) एवी होमकर ने संबंधित जिलों के एसपी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
अवैध उत्खनन पर नियंत्रण के लिए टास्क फोर्स की नियमित बैठक करने का सुझाव डीसी व एसपी को दिया गया है. वही, रामगढ़ जिले में कई जगहों से कोयला के अवैध उत्खनन और परिवहन पर सख्ती से नियंत्रण का आदेश दिया गया है. वर्तमान में रामगढ़ जिले से बड़े पैमाने पर कोयला तस्करी की शिकायत मिली है.
आईजी द्वारा लिखे गये पत्र के अनुसार लातेहार और चतरा जिला के कोयला उत्खनन क्षेत्रों में अवैध उत्खनन हो रहा है, साथ ही आपराधिक गतिविधियों का संचालन भी किया जा रहा है. आइजी ने लिखा है कि कोयला तस्करी के मामले में धनबाद जिले में बड़े स्तर पर कोयला चोरी/ परिवहन पर सख्त नियंत्रण की जरूरत है.
पत्र में कोयला क्षेत्र में अपराध रोकने के लिए व विधि व्यवस्था की दृष्टि से कार्रवाई के लिए थानों के क्षेत्राधिकार में बदलाव की बात लिखी गई है. इस संबंध में आगे की कार्रवाई हो, इसके लिए आईजी, डीआईजी के साथ-साथ दोनों जिलों के एसपी को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है. धनबाद में बृहद पैमाने पर हो रही कोयला चोरी शिकायत मिली है.
धनबाद में बीते दिनों में अवैध उत्खनन के कारण दर्जनों मौतें भी हुई हैं. यह बात भी सामने आई है कि कोयला उत्खनन क्षेत्र में आपराधिक गिरोह भी अवैध उत्खनन में संलिप्त हैं. यह भी पता चला है कि ईसीएल के कुछ अफसरों ने वैसी चालू खदानों को अपनी रिपोर्ट के आधार पर बंद करा दिया, जिनमें कोयला बचा हुआ था. फिर उन्हें माफियाओं को सौंप दिया. उन खदानों से निकला कोयला झारखंड के रास्ते उत्तर प्रदेश, बिहार की मंडियों तक पहुंचाया जाता रहा है.