देवेंद्र फड़नवीस ने कहा, "महाराष्ट्र में कोई 'सुपर सीएम' नहीं, शिंदे की अगुवाई में सरकार बनने से विपक्ष में है मची है खलबली"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 15, 2022 10:53 PM2022-07-15T22:53:29+5:302022-07-15T22:57:06+5:30
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने विपक्ष के दावे को खारिज करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार में सुपर सीएम की बात सरासर गलत है। हमारी सरकार में केवल एक मुख्यमंत्री हैं और वह एकनाथ शिंदे हैं।
मुंबई:महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे सरकार में बने डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने विपक्ष के उस दावे को शुक्रवार को खारिज कर दिया, जिसमें विपक्षी नेता आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा -शिवसेना वाली शिंदे सरकार में फड़नवीस "सुपर सीएम" की भूमिका में हैं।
देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि "मौजूदा सरकार में सुपर सीएम की बात सरासर गलत है। हमारी सरकार में केवल एक मुख्यमंत्री हैं और वह एकनाथ शिंदे हैं। सरकार उनके नेतृत्व में काम कर रहे हैं। लेकिन विपक्षी दल के लोग इसे पचा नहीं पा रहे हैं। विपक्ष को अब ऐसे रहने की आदत डाल लेनी चाहिए।"
साल 2014 से 2019 तक शिवसेना-भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के मुखिया रहे फड़नवीस को उद्धव ठाकरे वाली महाविकास अघाड़ी सरकार के गिरने के बाद दिल्ली से पार्टी आलाकमान के मिले निर्देश पर डिप्टी सीएम का पद स्वीकार करना पड़ा था, क्योंकि भाजपा ने शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार का गठन किया था।
मनसे प्रमुख राज ठाकरे के साथ की गई मुलाकात के बारे में चल रही सियासी हलचल पर टिप्पणी करते हुए फड़नवीस ने कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे से उनकी दिन में हुई मुलाकात के बारे में किसी को ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र की राजनीति में शिष्टाचार का पालन करने की परंपरा बहुत पुरानी है। राज ठाकरे जी अस्वस्थ थे और मैंने उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए गया था। आखिर इस बात में कौन सी राजनीतिक है?"
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार पर निशाना साधते हुए देवेंद्र फड़नवीस ने कहा, "उस सरकार की आखिरी कैबिनेट बैठक राज्यपाल द्वारा बहुमत साबित के आदेश के बाद बुलाई गई थी। इसलिए वो बैठक अवैध थी और उन्होंने औरंगाबाद, उस्मानाबाद जैसे शहरों के नाम बदलने का जो निर्णय लिया है और नवी मुंबई हवाई अड्डे का नाम बदलने का फैसले लिया था, वो भी अवैध है। मौजूदा सरकार अगली कैबिनेट बैठक में उन निर्णयों की पुष्टि करेंगी क्योंकि हम बहुमत में हैं।"
इस बीच महाराष्ट्र कांग्रेस ने साल 1975 में इंदिरा सरकार द्वारा लागू आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पेंशन योजना की बहाली का विरोध करते हुए इसे शिंदे सरकार का कदम का गलत कदम बताया।
इस मामले में राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उस फैसले पर मूकदर्शक बने रहे, जो शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की विचारधारा के खिलाफ था। बाला साहेब ठाकरे ने खुले तौर पर उस समय में आपातकाल का समर्थन किया था।
सचिन सावंत ने कहा, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बालासाहेब की विरासत को आगे ले जाने की बात करते हैं, लेकिन इस फैसले पर खामोश हैं।"
मालूम हो कि एकनाथ शिंदे ने बीते गुरुवार को इमरजेंसी के दौरान जेलों में बंद रहने वाले राजनैतिक कार्यकर्ताओं की पेंशन योजना को फिर से बहाल कर दिया, जिसे 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पेश किया था। जिसे साल 2020 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार ने समाप्त कर दिया।
सचिन सावंत ने इस विषय में आरोप लगाया कि शिंदे सरकार का यह फैसला स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को कम करने और आरएसएस के महत्व को बढ़ाने का एक निरर्थक प्रयास किया है>
साल 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज रहने वाले फड़नवीस ने उन राजनैतिक कार्यकर्ताओं को पेंशन देने का फैसला किया था, जिन्होंने साल 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का विरोध किया था। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)