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लोकतंत्र में मतभेद दूर करने, नागरिकों की सर्वोत्तम क्षमता को सामने लाने की ताकत है: राष्ट्रपति

By भाषा | Updated: July 27, 2021 17:46 IST

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श्रीनगर, 27 जुलाई राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को कहा कि लोकतंत्र में मतभेदों को दूर करने तथा नागरिकों की सर्वोत्तम क्षमता को सामने लाने की ताकत है और कश्मीर इस दृष्टिकोण को 'खुशी' से साकार कर रहा है।

यहां कश्मीर विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ मेरा अटूट विश्वास है कि लोकतंत्र में मतभेदों को दूर करने, नागरिकों की सर्वोत्तम क्षमता को सामने लाने की ताकत है। और कश्मीर खुशी खुशी इस दृष्टिकोण को साकार कर रहा है।’’

जम्मू-कश्मीर के चार दिवसीय दौरे पर आए कोविंद ने कहा कि हिंसा कभी भी ‘कश्मीरियत’ का हिस्सा नहीं थी, लेकिन यह रोजमर्रा की हकीकत बन गई। उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की यह उत्कृष्ट परंपरा टूट गई और हिंसा, जो कि कभी कश्मीरियत का हिस्सा नहीं थी, वह रोजमर्रा की वास्तविकता बन गई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हिंसा कश्मीरी संस्कृति से कोसों दूर थी और इसे केवल विचलन करार दिया जा सकता है जो कि अस्थायी है, बहुत हद तक एक वायरस की तरह जो कि शरीर पर हमला करता है और जिसे फिर मुक्त करने की जरूरत होती है। अब इस जमीन का खोया हुआ गौरव पुनः प्राप्त करने के लिए नई शुरुआत और दृढ़ प्रयास किए जा रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि कश्मीर विभिन्न संस्कृतियों का मिलन बिंदु रहा है और इस क्षेत्र के योगदान का जिक्र किये बिना भारतीय दर्शन का इतिहास लिखना असंभव है।

उन्होंने कहा, ‘‘ ऋग्वेद की सबसे पुरानी पांडुलिपियों में से एक कश्मीर में लिखी गई है। यह दर्शन की समृद्धि के लिए सबसे अनुकूल क्षेत्र है।’’

कश्मीर की श्रद्धेय कवयित्री का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ मध्य युग में, वह ललद्यद थीं, जिन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक संस्कृतियों को साथ लाने का रास्ता दिखाया था। लल्लेश्वरी के कार्यों में आप देख सकते हैं कि कैसे कश्मीर सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का रूप प्रदान करता है।’’

कोविंद ने कहा कि कश्मीर आए लगभग सभी धर्मों के लोगों ने यहां की अनूठी संस्कृति ‘कश्मीरियत’ को अपनाया और रुढ़िवाद त्यागकर अपने समुदाय के लोगों के बीच सहिष्णुता और आपसी मेलजोल को बढ़ावा दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस अवसर पर कश्मीर के युवा वर्ग से अपील करता हूं कि वे इसकी समृद्ध विरासत से सीख लें। उनके पास यह जानने की पूरी वजह है कि कश्मीर भारत के बाकी हिस्सों के लिए हमेशा ही आशा का पुंज रहा है। यहां के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव की छाप पूरे भारत पर है।’’

राष्ट्रपति ने यह विश्वास जताया कि कश्मीर के नौजवान और महिलाएं, लोकतंत्र का इस्तेमाल शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य बनाने के लिए करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘ लोकतंत्र आपको अपना भविष्य, एक शांतिपूर्ण और समृद्ध कल के निर्माण का अवसर देता है। नौजवानों और महिलाओं के लिए इसमें काफी कुछ है, और मैं आश्वस्त हूं कि वे अपना जीवन बनाने और कश्मीर के पुनर्निर्माण के अवसर को जाने नहीं देंगे।’’

कोविंद ने कहा कि कश्मीर में एक नए जीवन का संचार हुआ है और यहां नई संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ पूरा भारत आपको प्रशंसा और गर्व की भावना से देख रहा है। कश्मीरी नौजवान लोक सेवा परीक्षाओं, खेल और उद्म से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में नई ऊंचाइयां छू रहे हैं। पिछले साल सितंबर में नई शिक्षा नीति पर विमर्श के दौरान मैंने अपने सपने के बारे में बात की थी। मैं कश्मीर को धरती पर स्वर्ग के रूप में देखना चाहता हूँ।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि वह कश्मीर को देश के मुकुट गौरव के रूप में अपना सही स्थान बहाल करने के लिए जम्मू-कश्मीर की युवा पीढ़ी की तरफ देख रहे हैं।

कोविंद ने कहा कि महान इतिहासकारों और सांस्कृतिक महत्व की इस धरा पर आकर उन्हें बेहद प्रसन्नता हुई।

उन्होंन कहा कि इस भूमि को ऋषियों की भूमि कहा जाता है और इसने हमेशा ही अध्यात्म की तलाश में रहनेवाले दूर-दराज के लोगों को भी आकर्षित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस भूमि पर खड़ा होकर धन्य महसूस करता हूँ, जो कि न केवल ज्ञान का भंडार है, बल्कि अपने अतुलनीय प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि मंगलवार को क़रीब तीन लाख विद्यार्थियों को डिग्रियां मिलेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले आठ वर्षों में 2.5 लाख स्नातक डिग्री धारक और 1,000 से ज्यादा डॉक्टरेट के साथ विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय प्रगति की है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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