उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को शिवसेना सांसद संजय राउत ने मंगलवार (03 मार्च) को कहा कि विपक्षी दलों को सरकार से सवाल पूछने और इस्तीफे की मांग करने का अधिकार है। दरअसल, कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष दिल्ली हिंसा को लेकर केद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग कर रहा है। इसी मुद्दे पर विपक्ष संसद में नरेंद्र मोदी सरकार को घेर रहा है, जिसकी वजह संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, संजय राउत ने कहा, 'दिल्ली हिंसा एक संवेदनशील मुद्दा है। इसके लिए गृह मंत्रालय जिम्मेदार है। विपक्ष के पास सवाल पूछने और इस्तीफे की मांग करने का अधिकार है। चाहे वह प्रधानमंत्री हों या फिर गृह मंत्री। उन्हें सदन में आकर जवाब देना होगा।'
उन्होंने कहा कि शिवराज पाटिल 2004 से 2008 तक केंद्रीय गृह मंत्री थे। इस दौरान दिल्ली में सीरियल बम विस्फोटों हुए थे, जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार जिम्मेदारी नहीं लेती है। वे इसके लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराते हैं।
बता दें, दिल्ली हिंसा को लेकर संसद से लेकर सड़क तक हंगामा बरपा हुआ है। इस घटना में कम से कम 47 लोगों की जान चली गई और लगभग 200 लोग घायल हुए हैं। संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरु हुआ है। बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी तक चला था।
Opposition has right to ask questions, demand resignation over Delhi violence: Sanjay RautRead @ANI Story| https://t.co/sZFz9pSZ6Epic.twitter.com/mHltu3NHd3— ANI Digital (@ani_digital) March 3, 2020
दिल्ली हिंसा के विषय पर लोकसभा में जारी गतिरोध मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के यह कहने के बावजूद नहीं टूट पाया कि सरकार इस मुद्दे पर होली के बाद चर्चा कराने को तैयार है। इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग को लेकर अड़े विपक्ष के हंगामे तथा सत्तापक्ष और विपक्ष के कुछ सदस्यों के बीच धक्कामुक्की के कारण सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
हंगामे के बीच ही सरकार ने सदन ने बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को पारित कराने का प्रयास किया। इससे विपक्षी सदस्य का विरोध और तेज हो गया। दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे लोकसभा की बैठक शुरू हुई तो अध्यक्ष ओम बिरला ने आवश्यक दस्तावेज सभा पटल पर रखवाये। इसके बाद उन्होंने कहा कि सभी इस बात पर सहमत हुए कि दिल्ली हिंसा पर चर्चा के लिए आसन के निर्णय को स्वीकार किया जाएगा।