Delhi Violence update: संसद में दिल्ली हिंसा पर हंगामा, विपक्ष ने कहा- पूरी दुनिया बोल रही और सदन है चुप

By भाषा | Published: March 3, 2020 06:00 PM2020-03-03T18:00:10+5:302020-03-03T18:01:04+5:30

विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा को दो-दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। लोकसभा में हंगामे के दौरान कुछ समय के लिए सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कुछ सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति भी देखी गयी।

Delhi violence Discussion On Delhi Violence After Holi Opposition Fumes After Speaker's Remarks | Delhi Violence update: संसद में दिल्ली हिंसा पर हंगामा, विपक्ष ने कहा- पूरी दुनिया बोल रही और सदन है चुप

दोनों सदनों में इस मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के चलते प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं हो पाया।

Highlightsलोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर होली के बाद चर्चा कराने को तैयार है।भूपेन्द्र यादव ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा कराने का निर्णय सभापति पर छोड़ दिया जाना चाहिए।

नई दिल्लीः संसद में दिल्ली हिंसा के विषय पर चर्चा कराए जाने की विपक्ष की मांग को लेकर मंगलवार को दूसरे दिन भी गतिरोध कायम रहा व विपक्ष ने दावा किया कि इस विषय पर पूरी दुनिया बोल रही है लेकिन सदन को बोलने नहीं दिया जा रहा है।

इस मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा को दो-दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। लोकसभा में हंगामे के दौरान कुछ समय के लिए सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कुछ सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति भी देखी गयी।

हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर होली के बाद चर्चा कराने को तैयार है। राज्यसभा में भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा कराने का निर्णय सभापति पर छोड़ दिया जाना चाहिए। दोनों सदनों में इस मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के चलते प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं हो पाया।

इस मुद्दे पर दोनों सदनों में सोमवार को भी गतिरोध रहा था। लोकसभा में हंगामे के बीच ही सरकार ने बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को पारित कराने का प्रयास किया। इससे विपक्षी सदस्यों का विरोध और तेज हो गया।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर उच्च सदन में चर्चा कराने की विपक्षी दलों की मांग को तर्कसंगत बताते हुए कहा, ‘‘एक घटना हुई, जिसकी हम सभी लोग निंदा करते हैं। इस घटना की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है और हमारे यहां संसद शुरू हो गयी है लेकिन इस विषय पर चर्चा न हो, यह बड़ा ही अटपटा लगेगा। पूरी दुनिया देखती है कि सब बोल रहे हैं और भारत का सदन नहीं बोल रहा है।’’

सदन के सभी सदस्य अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं

उन्होंने सत्तापक्ष की इस आशंका को भी बेबुनियाद बताया कि सदन में चर्चा कराने से कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘सदन के सभी सदस्य अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं और मैं नहीं समझता हूं कि यहां ऐसा कोई भी गैरजिम्मेदार सदस्य होगा जो तेल डालकर जायेगा। यहां सभी जिम्मेदार सदस्य हैं और वे हालात पर पानी और मिट्टी डालकर ही जायेंगे।’’ आजाद ने कहा कि सभी सदस्य ऐसी बात कहना चाहेंगे जिससे हालात सामान्य हों, अफवाहों पर यकीन नहीं करने की अपील करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर इस पर भी सत्तापक्ष को कोई शंका होती है तो मैं नहीं समझता हूं कि विपक्ष का ऐसा कोई गैरजिम्मेदार व्यक्ति है जो इस स्थिति में भी आग डालने की कोशिश करेगा।’’ राज्यसभा में नेता सदन थावरचंद गहलोत ने कहा कि सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है। सभापति द्वारा जब भी चर्चा का समय नियत किया जाए, उस समय सरकार चर्चा के लिये तैयार है। उपसभापति हरिवंश ने कहा कि अगर सत्तापक्ष और विपक्ष चर्चा के मुद्दे पर एकमत हैं तो दोनों पक्षों को सभापति से मिलकर चर्चा का समय तय करना चाहिये।

भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने इस मुद्दे पर चर्चा कराने का निर्णय सभापति पर छोड़ने का सुझाव दिया। कांग्रेस के आनंद शर्मा और टीआरएस के के केशव राव ने कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय होने तक, सदन की बैठक को बुधवार पूर्वाह्न 11 बजे तक स्थगित कर दिया जाये।

लोकसभा में इस मुद्दे पर चर्चा कराये जाने के मामले में अपनी व्यवस्था देते हुए अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘‘देशहित को ध्यान में रखते हुए मैं व्यवस्था देता हूं कि होली के बाद 11 मार्च को इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए। होली सौहार्दपूर्ण तरीके से मननी चाहिए। सरकार इस विषय पर चर्चा को तैयार है।’’ इस दौरान विपक्ष के सदस्य असंतोष प्रकट करने लगे। अध्यक्ष बिरला ने कहा कि सदन चर्चा के लिए होता है, वाद-विवाद के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि हम सभी होली अच्छी तरह से मनाएं और उसके बाद सौहार्दपूर्ण चर्चा करें।

हंगामे के बीच ही अध्यक्ष ने बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 पेश कराया

हंगामे के बीच ही अध्यक्ष ने बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 पेश कराया। विधेयक की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हंगामा कर रहे विपक्ष के सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये लोग उन छोटे निवेशकों की मांग दबा रहे हैं जिन्होंने कठिनाइयों का सामना किया है।

हंगामे के बीच ही सरकार ने विधेयक से संबंधित कुछ संशोधन पारित कराए। उधर कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी और वाम दलों समेत अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने आसन के समीप नारेबाजी तेज कर दी। वे आसन के पास पहुंचकर विधेयक को हंगामे के बीच पारित कराने के प्रयासों का कड़ा विरोध कर रहे थे। इसी बीच सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी सत्ता पक्ष की सीटों की तरफ से होते हुए आसन के समीप पहुंच गये।

उन्हें रोकने के लिए भाजपा की लॉकेट चटर्जी आ गयीं। हालांकि भाजपा के कुछ सदस्यों ने चटर्जी को रोक दिया। इस बीच भाजपा की कुछ और महिला सदस्य बीच में आकर खड़ी हो गयीं तथा कांग्रेस की राम्या हरिदास, ज्योतिमणि समेत अन्य विपक्षी सदस्यों को सत्तापक्ष की तरफ बढ़ने से रोकने लगीं। हंगामा और तेज हो गया तथा सत्तापक्ष और विपक्ष के कुछ सदस्यों के बीच धक्कामुक्की की स्थिति बन गयी। इस बीच विपक्ष के कुछ सदस्यों ने आसन की ओर कागज फाड़कर भी उछाले।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, रविशंकर प्रसाद और गिरिराज सिंह आगे आकर बीच-बचाव करते देखे गये। हंगामा बढ़ने के कारण अध्यक्ष ने दो बार के स्थगन के बाद दो बजकर करीब 20 मिनट पर कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही स्थगित होने के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की कांग्रेस सदस्य के. सुरेश, बैनी बहनान और सपा के अखिलेश यादव से नोकझोंक भी देखी गयी। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सदस्य कार्यवाही स्थगित होने के 20 मिनट से अधिक समय बाद तक सदन में मौजूद थे। 

Web Title: Delhi violence Discussion On Delhi Violence After Holi Opposition Fumes After Speaker's Remarks

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