Delhi Violence: गृह मंत्रालय ने पीएम मोदी के 3 फरवरी वाले बयान को नहीं लिया गंभीरता से, ये की थी टिप्पणी

By हरीश गुप्ता | Published: February 27, 2020 08:17 AM2020-02-27T08:17:33+5:302020-02-27T08:26:20+5:30

Delhi Violence: राष्ट्रीय राजधानी ने स्वतंत्रता के बाद कभी भी सांप्रदायिक हिंसा नहीं देखी. अंतिम हिंदू-मुस्लिम दंगा 1927-28 में हुआ था, जब 28 लोगों की मौत हुई थी और 226 लोग घायल हुए थे.

Delhi Violence: Delhi became biggest communal riots for the first time since 1947 | Delhi Violence: गृह मंत्रालय ने पीएम मोदी के 3 फरवरी वाले बयान को नहीं लिया गंभीरता से, ये की थी टिप्पणी

नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

Highlightsलगता है कि दिल्ली पुलिस, खुफिया एजेंसियां और यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 3 फरवरी के बयान को गंभीरता से नहीं लिया. मोदी ने दिल्ली के शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के विरोध को 'संयोग' नहीं 'प्रयोग' करार दिया था.

लगता है कि दिल्ली पुलिस, खुफिया एजेंसियां और यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 3 फरवरी के बयान को गंभीरता से नहीं लिया. मोदी ने दिल्ली के शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के विरोध को 'संयोग' नहीं 'प्रयोग' करार दिया था. निश्चित तौर पर मोदी को राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले इस 'प्रयोग' के निहितार्थ के बारे में कुछ गोपनीय रिपोर्ट मिली थी, जिसका मकसद सांप्रदायिक सद्भावना बिगाड़ना था.

राष्ट्रीय राजधानी ने स्वतंत्रता के बाद कभी भी सांप्रदायिक हिंसा नहीं देखी. अंतिम हिंदू-मुस्लिम दंगा 1927-28 में हुआ था, जब 28 लोगों की मौत हुई थी और 226 लोग घायल हुए थे. वहीं, 1984 के दंगे को संघर्ष नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिखों के खिलाफ आक्रोश था. यह एक तरह से हमला था.

वहीं, 2020 अभूतपूर्व है जब संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदाय लामबंद हुआ और जामिया आदि में हिंसा का सहारा लिया. बाद में मुस्लिम महिलाएं शाहीन बाग में धरने पर बैठ गईं. केंद्र की कोई भी एजेंसी तनाव पर काबू पाने के लिए तत्पर नहीं हुई. अमानतुल्लाह खान से लेकर अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, वारिस पठान, कपिल मिश्रा सभी ने आग भड़काई और नार्थ ब्लॉक न्यायपालिका की कार्यवाही का इंतजार करता रहा.

अहंकारवश किसी भाजपा नेता को नहीं भेजा

यह अहंकार या अभिमान था जिसके कारण किसी भी भाजपा नेता को इस 'प्रयोग' को संभालने के लिए नहीं भेजा गया. मंगलवार को 24 लोगों की मौत और 200 लोगों के घायल होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सख्त संदेश भेजा. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को दंगा प्रभावित इलाकों में जख्म पर मरहम लगाने भेजा.

Web Title: Delhi Violence: Delhi became biggest communal riots for the first time since 1947

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