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दिल्ली के तिहाड़ जेल में है भूतों का साया! क्या है सच, पढ़ें कैदियों के हैरतअंगेज अनुभव और किस्से

By विनीत कुमार | Updated: April 30, 2021 12:04 IST

दिल्ली का तिहाड़ जेल एशिया के सबसे बड़े जेलों में से एक है। इस जेल में भूतों के होने के भी कई दिलचस्प किस्से हैं। अधिकारी ऐसी बातों से इनकार करते हैं लेकिन कई कैदियों के अनुभव कुछ और हैं।

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ठळक मुद्देदिल्ली के तिहाड़ जेल में कई कैदी भूतों के होने के अनुभव के बारे में बताते रहे हैंपूर्व में कई कैदियों ने मकबूल भट्ट और अफजल गुरु का भूत देखे जाने का भी दावा किया हैपिछले साल निर्भया गैंगरेप के दोषियों को फांसी दी गई थी, उनके भी भूत देखे जाने का दावा कुछ कैदी करते रहे हैं

दिल्ली का तिहाड़ जेल अक्सर किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहता है। ये जेल इसलिए भी अहम है क्योंकि इसे एशिया के कुछ सबसे बड़े जेलों में शुमार किया जाता है। इसके अलावा इस जेल में भूतों का साया होने की भी कई कहानियां हैं जो समय-समय पर सामने आती हैं और लोगों को चौंकने पर मजबूर करती हैं।

कई बार तो इसी जेल में रहने वाले कैदियों ने ही डरावने अनुभव को साझा किया है। इसी में से एक हर्ष (बदला हुआ नाम) भी हैं। दरअसल, vice.com के अनुसार हर्ष तीन बार तिहाड़ जेल में रहे हैं और हर बार उन्हें यहां भूत या किसी साये के होने का अनुभव हुआ है।

पोर्टल के अनुसार हर्ष अपनी असली पहचान नहीं बताना चाहते हैं ताकि कोई कानूनी मुश्किल उनके सामने न खड़ी हो जाए। बहरहाल जमानत पर इसी साल बाहर आए हर्ष बताते हैं कि आधी रात के बाद जेल के बैरक में शांति से सो पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। 

हर्ष बताते हैं, 'रात 2 बजे के बाद मैंने अक्सर खिड़की के ग्रिल पर एक काला शरीर लटके हुए देखा है। मैंने जब इस बारे में अन्य कैदियों को बताया तो उन्होंने भी कहा कि वे ऐसा देख चुके हैं।'

तिहाड़ में आत्महत्या करने वाले कैदियों से जुड़ी कई कहानियां

तिहाड़ में पिछले करीब 5 साल में 32 कैदियों ने आत्महत्या की है। ऐसे में उन्हें लेकर खूब कहानियां हैं। कई कैदियों ने ऐसी शिकायत की है कि उन्होंने अजीब-अजीब आवाजे सुनी हैं और मरे हुए लोगों को देखा है।

हर्ष बताते हैं कि वे तिहाड़ में अक्सर रात में सोने के लिए जाने से पहले प्रार्थना करते थे। वहीं, कुछ घंटों बाद उन्हें महसूस होता था कि कोई उनके पास बैठा हुआ है। 

हर्ष के शब्दों में, 'मुझे अंदर ही अंदर पता चलता था कि ये कोई भूत है इसलिए मैं अपनी आंखें बंद ही रखता था। अचानक मेरे कानों के पास हवा का झोका जैसा महसूस होता था या फिर ऐसा लगता था कि कोई मेरे कानों में फुसफुसा रहा है। मैं जब आंखे खोलता तो एक शरीर खिड़की के ग्रिल से लटका हुआ नजर आता। मेरी चीख निकलते ही वो चीज गायब हो जाती।'

ऐसे में हर्ष और दूसरे कैदी ये मानने लगे कि संभव है कि ये उस कैदी की आत्मा हो जिसने उसी सेल में कुछ साल पहले आत्महत्या कर ली थी। हर्ष के अनुसार, 'भूत ने कभी हमें नुकसान नहीं पहुंचाया लेकिन मानसिक तौर पर हम पर इसका ज्यादा असर पड़ा।'

तिहाड़ में काम कर चुके अधिकारी की किताब में भी है भूतों का जिक्र

तिहाड़ जेल में कई वर्षों तक काम कर चुके सुनील गुप्ता ने भी अपनी किताब 'ब्लैक वारंट: कंफेशन ऑफ ए तिहाड़ जेलर' में एक चैप्टर में जेल में भूतों और इससे जुड़ी कहानियों का जिक्र किया है।

सुनील गुप्ता ने पोर्टल को बताया, 'कई कैदियों ने मुझे कहा था कि उन्होंने कश्मीरी अलगाववादी मकबूल भट्ट और अफजल गुरु का भूत देल में देखा है, जिन्हें 1984 और 2013 में फांसी दी गई थी।'

दूसरी ओर 13 बार तिहाड़ जेल जा चुके दिल्ली के रहने वाले 34 साल के अशोक बाजे ने तो ये तक कहा कि उन्हें लगता है कि मार्च 2020 में निर्भया गैंगरेप के 4 दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद उनका भूत कैदियों को परेशान करता है।

बाजे ने बताया कि वो कभी भूतों के होने में विश्वास नहीं करते थे। हालांकि, उन्होंने जेल में ऐसा कुछ होने को लेकर महसूस किया है। बाजे ने बताया कि उनका भी सामना निर्भया गैंगरेप के दोषियों के भूतों से हो चुका है।

तिहाड़ में निर्भया गैंगरेप के दोषियों का भूत!

अशोक बाजे एक रात की घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं, 'मैंने अपनी छाती पर कुछ भारी महसूस किया। मैंने जब आंख खोली तो देखा कि कोई चढ़ कर बैठा हुआ है। वो मुकेश सिंह था, उन चार दोषियों में से एक जिसे फांसी दी गई थी। मैंने अपने पैंट में ही पेशाब कर दिया। मैं बेहद डर गया था और आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। इसके बाद अचानक वो आत्मा गायब हो गई।' 

बाजे के अनुसार अगले ही सुबह करीब 30 कैदियों ने भी बताया कि उन्होंने मुकेश सिंह को देखा था। 

तिहाड़ जेल में भूतों का सच क्या है?

जेल के डीजी संदीप गोयल के अनुसार कैदी ऐसी कहानियां बनाते हैं। उन्होंने कहा, 'हम लोग ऐसी अफवाहों से निपटने के लिए डॉक्टरों और एनजीओ के साथ मिलकर काउंसलिंग सर्विस चलाते हैं।'

गोयल ने कहा कि पहली बार अपराध करने वाले भूत से नहीं बल्कि अपने अपराध से डरे होते हैं। इससे वे बेचैन रहते हैं और अवसाद जैसे लक्षण भी आते हैं। ऐसे में जब इस प्रकार के कैदी दूसरे कैदियों से भूत की कहानियां सुनते हैं तो उन्हें भी ऐसे भ्रम होने लगते हैं।

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