दिल्ली हिंसा: 23 फरवरी को भीम आर्मी और कपिल मिश्रा के समर्थकों के बीच झड़प से शुरू हुआ था दिल्ली का बवाल, पुलिस का शुरुआती आकलन
By पल्लवी कुमारी | Published: February 28, 2020 10:02 AM2020-02-28T10:02:23+5:302020-02-28T10:02:23+5:30
भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा, 'उस दिन दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में सीएए के खिलाफ हमारा विरोध शांतिपूर्ण और सफल रहा। हमारे सदस्य किसी भी हिंसा में शामिल नहीं थे।
दिल्ली हिंसा पर पुलिस ने शुरुआती जांच के आकलन में पाया है कि रविवार (23 फरवरी) को भीम आर्मी के समर्थकों और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के समर्थकों के बीच झड़प से इस बवाल की शुरुआत हुई है। शुरुआती जांच के आकलन यह बताया गया है कि सबसे पहले भीम आर्मी ने सीएए समर्थकों पर पत्थरबाजी शरू की थी। दिल्ली पुलिस और स्पेशल ब्रांच के मुताबिक 23 फरवरी को दोपहर को मौजपुर चौक पर सीएए के समर्थन में रैली वालों पर भीम आर्मी ने पत्थर बरसाए थे। सीएए के समर्थन में मौजपुर चौक पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता कपिल मिश्रा के कहने पर लोग आए थे। भीम आर्मी और कपिल मिश्रा के समर्थक (जो सीएए के समर्थन में जुटे थे) दोनों के बीच मौजपुर चौक पर जमकर विवाद हुआ था। जिसके बाद इस हिंसा को हवा मिली। भीम आर्मी ने सीएए के विरोध में 23 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया था।
अंग्रजी वेबसाइट हिन्दुस्तान टाइम्स को दो पुलिस अधिकारियों ने नाम ना बताने की शर्त पर घटना का पूरा ब्यौरा दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, 23 फरवरी को भीम आर्मी ने सीएए के विरोध में 23 बंद का ऐलान किया था और पूरी दिल्ली में घूम-घूमकर सीएए के खिलाफ भाषण दे रहे थे। इधर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता कपिल मिश्रा ने 23 फरवरी को ही एक बजे ट्वीट कर अपने समर्थकों को दोपहर करीब तीन बजे मौजपुर चौक पहुंचने को कहा था। कपिल मिश्रा यहां तीन बजे अपने समर्थकों के साथ पहुंच गए और भड़काऊ भाषण देने लगे। उसी दौरान बंद का आह्वान करने वाले भीम आर्मी के 15 से 20 समर्थक वहां से गुजर रहे थे, जो लोग चांद बाग से जोरबाग जा रहे थे। भीम आर्मी के समर्थक जोर-जोर ने सीएए के खिलाफ नारे लगा रहे थे तो इसको देखकर कपिल मिश्रा के समर्थक हूटिंग करने लगे। इसके बाद दोनों पक्षों में हाथापाई हो गई थी लेकिन बाद में वहां से भीम आर्मी के 15 से 20 समर्थक चले।
पुलिस का दावा- भीम आर्मी के समर्थकों ने कपिल मिश्रा और सीएए के समर्थकों पर पत्थर बरसाए
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मौजपुर से चले जाने के बाद तकरीबन 4.42 पर शाम को फिर से भीम आर्मी के समर्थक वापस आए और कपिल मिश्रा के समर्थकों पर पत्थरबाजी की। इसके बाद दोनों पक्षों में पथराव हुआ और दिल्ली में हिंसा बढ़ती चली गई। इसके बाद भीम आर्मी के सदस्यों सहित लगभग 100-125 एंटी-सीएए प्रचारकों का कपिल मिश्रा के समर्थकों द्वारा पीछा भी किया गया था। स्पेशल ब्रांच के अधिकारी ने बताया कि 23 फरवरी को भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर उर्फ रावण बंगलूरू में था। पुलिस भीम आर्मी व उसके प्रमुख की दिल्ली हिंसा में भूमिका की जांच कर रही है।
दोनों पक्षों से पथराव के बाद स्पेशल क्राइम ब्रांच ने भीम आर्मी के सदस्यों की पहचान कर ली है। इसके अलावा उस दिन सीएए समर्थक और एंटी जो लोग कर्दमपुरी और जफराबाद के आसपास के क्षेत्रों में इकट्ठा हुए थे, पुलिस उनकी पहचान कर रही है। पहचाने गए शख्स में भीम आर्मी के दिल्ली प्रमुख, हिमांशु वाल्मीकि का नाम आया है। पुलिस ने दावा किया है कि 23 फरवरी की शाम 6 बजे इन्होंने आसपास और लोगों को जुटाया था। हिन्दुस्तान टाइम्स ने यह भी दावा किया है कि उन्होंने हिमांशु वाल्मीकि से बात करने की कोशिश की थी लेकिन संपर्क नहीं हो पाया था।
दिल्ली पुलिस का दावा- 22 फरवरी को जाफराबाद में बाहर से लाए गए थे कुछ लोग
पुलिस ने दावा किया है कि मौजपुर और कर्दमपुरी के उपनगरों में पथराव और आगजनी की लगातार घटनाओं में बढ़ोतरी हुई। पुलिस के एक अधिकारी ने दावा किया है कि भीम आर्मी शनिवार (22 फरवरी) की रात में कई लोगों को लेकर जाफराबाद आए थे, जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं। पुलिस का दावा है कि उनके पास भड़काने वालों द्वारा ट्वीट और सोशल मीडिया पोस्ट मौजूद हैं। पुलिस ने दावा किया है कि भीम आर्मी द्वारा लाए लोगों की जाफराबाद सड़क को अवरुद्ध करने में भी भूमिका थी।
भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा, 'उस दिन दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में सीएए के खिलाफ हमारा विरोध शांतिपूर्ण और सफल रहा। हमारे सदस्य किसी भी हिंसा में शामिल नहीं थे। इसके बजाय, हमें एक संदेश मिला कि हमारे दिल्ली के अध्यक्ष हिमांशु वाल्मीकि का वाहन जला दिया गया था।'' विनय रतन सिंह ने यह बात मानी है कि उनके कार्यकर्ता रविवार को जाफराबाद-मौजपुर इलाके में मौजूद थे।
पुलिस का दावा है कि शनिवार (22 फरवरी) की रात को ही उत्तर-पूर्वी दिल्ली में तनाव बढ़ गया था, जब सीएए का विरोध करने वाले एक समूह ने जफराबाद मेन रोड को अवरुद्ध कर दिया था। कपिल मिश्रा के रविवार को क्षेत्र का दौरा करने के बाद टेंपरों ने गोली मार दी और मांग की कि पुलिस तीन दिनों के भीतर प्रदर्शनकारियों को हटा दे या उनका समूह ऐसा करेगा। जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया वायरल हुआ था।