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दिल्ली दंगे : अदालत ने गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी पर आरोपी को दी जमानत

By भाषा | Updated: May 4, 2021 14:52 IST

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नयी दिल्ली, चार मई दिल्ली की एक अदालत ने उत्तरपूर्वी दिल्ली में पिछले साल फरवरी में हुए दंगों से जुड़े दो मामलों में एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि पुलिस ने कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण दिए बिना ‘‘काफी देरी’’ के बाद सरकारी गवाहों के बयान दर्ज किए और हथियार बरामद किया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने 30 वर्षीय दीपक कुमार को 20,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि का एक जमानती पेश करने पर इस शर्त पर जमानत दी कि वह इलाके में शांति एवं सौहार्द्र बनाए रखेगा और किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा।

सत्र न्यायाधीश ने जमानत देते हुए कहा, ‘‘याचिकाकर्ता किसी भी सीसीटीवी फुटेज में नहीं दिखा।’’ अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ताओं ने जांच एजेंसी को दी प्रारंभिक शिकायतों में कुमार का नाम नहीं लिया और बाद में दिए बयानों में ही उसका नाम लिया।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यहां तक कि अन्य सरकारी गवाहों जय राम और अब्दुल नादिर के बयान भी मामले में तब दर्ज किए गए जब घटनाओं को घटे काफी वक्त बीत गया और इस संबंध में कोई विश्वास करने योग्य स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।’’

अदालत ने उच्चतम न्यायालय के पिछले साल दिए एक आदेश का भी जिक्र किया जिसमें उसने कहा था कि अगर गवाहों के बयान दर्ज करने में काफी देरी की गई हो खासतौर से पुलिस को गवाह उपलब्ध हो तो यह अभियोजन पक्ष की कहानी पर शक पैदा करता है और आरोपी जमानत का हकदार हो जाता है।

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अच्छा खास वक्त बीतने के बाद ‘डंडा’ बरामद किया गया और वह भी एक खुले मैदान से।

अदालत ने कहा कि आरोपी को अनिश्चित समय तक महज इस आधार पर जेल में कैद नहीं रखा जा सकता कि दंगाई भीड़ का हिस्सा रहे अन्य लोगों की पहचान की जानी और उन्हें गिरफ्तार किया जाना है जबकि आरोपपत्र पहले ही दाखिल कर दिया गया है और सुनवाई में लंबा वक्त लग सकता है।

कुमार दो प्राथमिकियों में नामजद है।

पहली प्राथमिकी निशारा नाम की महिला की शिकायत पर दो मार्च 2020 को दर्ज की गई, जिसमें उसने दावा किया कि 25 फरवरी को लाठी, सरिये लिए हुए एक दंगाई भीड़ ने उसके किराये के मकान में तोड़फोड़ की और उसे जला दिया तथा सोने के कुछ आभूषण भी लूट लिए।

इस के बाद कमर जहां और नौशाद ने भी पुलिस में ऐसी ही दो और शिकायतें दर्ज कराई।

दूसरी प्राथमिकी दो मार्च 2020 को अकिल अहमद की शिकायत पर दर्ज की गई जिसमें उसने कहा कि 25 फरवरी को 25-30 लोगों की दंगाई भीड़ ने उसे तथा उसके परिवार के सदस्यों को घर से बाहर खींचकर निकाला तथा उसके घर को आग लगा दी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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