दिल्ली पुलिस Vs वकील: तीस हजारी की झड़प ने किरण बेदी से जुड़ी 1988 की घटना की याद दिला दी

By भाषा | Published: November 5, 2019 08:15 PM2019-11-05T20:15:39+5:302019-11-05T20:15:39+5:30

तीस हजारी अदालत परिसर में पुलिस-वकीलों की झड़प की 1988 की उस घटना की याद दिला दी जब दिल्ली की 'सख्त मिजाज पुलिस अधिकारी’ ने वकीलों की नाराजगी मोल ली थी।

Delhi Police-lawyers clash reminds of 1988 incident involving Kiran Bedi | दिल्ली पुलिस Vs वकील: तीस हजारी की झड़प ने किरण बेदी से जुड़ी 1988 की घटना की याद दिला दी

दिल्ली पुलिस Vs वकील: दिल्ली ने 1988 में भी देखा था कुछ ऐसा ही मंजर (फाइल फोटो)

Highlightsदिल्ली में 1988 में भी आमने-सामने आये थे वकील और पुलिस1988 में राजेश अग्निहोत्री नाम के वकील को गिरफ्तार करने से जुड़ा था वो मामला

हजारों पुलिसकर्मियों ने अपने सहकर्मियों पर हमले में शामिल वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए जब मंगलवार को 'हमारा कमीशनर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो' के नारे लगाए तो इसने तीस हजारी अदालत परिसर में पुलिस-वकीलों की झड़प की 1988 की उस घटना की याद दिला दी जब दिल्ली की 'सख्त मिजाज पुलिस अधिकारी’ ने वकीलों की नाराजगी मोल ली थी। वह 1988 का जनवरी का महीना था जब दिल्ली पुलिस ने राजेश अग्निहोत्री नाम के वकील को गिरफ्तार किया था।

सेंट स्टीफन कॉलेज के छात्रों ने उन्हें लेडीज कॉमन रूम से कथित तौर पर चोरी करते हुए पकड़ा था। घटना 16 जनवरी 1988 की है । पुलिस ने वकील अग्निहोत्री को हाथ में हथकड़ी लगाए तीस हजारी अदालत में पेश किया तो वकीलों ने इसे गैरकानूनी बताते हुए प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने वकील को उसी दिन दोषमुक्त कर दिया और साथ ही पुलिस आयुक्त को दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

वकील, पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अपनी मांग के समर्थन में 18 जनवरी से हड़ताल पर चले गए। पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने 20 जनवरी को एक संवाददाता सम्मेलन में पुलिस की कार्रवाई को न्यायोचित बताया और कथित ‘‘चोर’’ को दोषमुक्त करने के मजिस्ट्रेट के आदेश की आलोचना की। अगले दिन वकीलों के समूह ने तीस हजारी अदालत परिसर में ही स्थित बेदी के कार्यालय में उनसे मुलाकात करनी चाही तो उन पर लाठी चार्ज का आदेश दिया गया जिसमें कई वकील घायल हो गए। इसके बाद अगले दो महीने के लिए वकीलों ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में अदालतों में काम करना बंद कर दिया और बेदी के इस्तीफे की मांग की।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले की जांच के लिए न्यायाधीश डी पी वाधवा के नेतृत्व में दो सदस्यीय समिति गठित की जिसके बाद हड़ताल बंद की गई। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वकील को हथकड़ी लगाना गैरकानूनी था और उसने बेदी के तबादले की सिफारिश की।

इस घटना ने बेदी का तब भी पीछा नहीं छोड़ा जब 2015 में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। राष्ट्रीय राजधानी में सभी छह जिला अदालतों के वकीलों ने बेदी को उम्मीदवार बनाने के लिए भाजपा की निंदा की।

पूर्वी दिल्ली में कृष्णा नगर निर्वाचन क्षेत्र से बेदी के खिलाफ विधानसभा चुनाव जीतने वाले वकील एस के बग्गा ने 1988 की घटना को याद किया और कहा कि पूर्व आईपीएस अधिकारी ने प्रदर्शनरत वकीलों के खिलाफ बर्बरता से लाठी चार्ज, आंसू गैस और पानी की बौछारें करने का आदेश दिया था।

घटना में 100 वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्होंने याद किया कि अन्य वकील और अब प्रतिष्ठित बार नेता राजीव खोसला को 1988 में पानी की बौछारों के कारण आंख में गंभीर चोट आयी थी। उन्होंने कहा कि इस बार फर्क इतना है कि पुलिसकर्मी सड़कों पर हैं और शनिवार तथा सोमवार की घटना के लिए वकीलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

इन घटनाओं में वकीलों ने पुलिसकर्मियों की पिटायी की। मंगलवार को प्रदर्शन कर रहे कई दिल्ली पुलिसकर्मियों ने बेदी को याद किया। कुछ पुलिसकर्मियों ने बेदी का बड़ा पोस्टर हाथ में ले रखा था जिसमें 'किरण बेदी शेरनी हमारी' और 'हमारा पुलिस कमीशनर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो' जैसे नारे लिखे हुए थे। बेदी अभी पुडुचेरी की उपराज्यपाल हैं। 

Web Title: Delhi Police-lawyers clash reminds of 1988 incident involving Kiran Bedi

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