दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कोर्ट से आपराधिक कार्यवाही टालने की मांग की, मेधा पाटकर ने किया विरोध
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 10, 2023 09:08 AM2023-03-10T09:08:52+5:302023-03-10T09:17:05+5:30
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कोर्ट में आवेदन देकर मांग की है कि चूंकि वो संवैधानिक पद पर हैं। इस कारण उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को स्थगित रखा जाए। लेकिन मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना के तर्क का विरोध करते हुए कहा कि सक्सेना महज एक प्रशासक हैं राज्यपाल नहीं। इस कारण उन्हें आपराधिक मामले में कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए।
दिल्ली: नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा कोर्ट से उपराज्यपाल का हवाला देते हुए आपराधिक कार्यवाही को टालने की मांग का तीखा विरोध किया है। मेधा पाटकर की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि चूंकि वीके सक्सेना राज्यपाल के पद पर नहीं है, वो राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त महज एक प्रशासक हैं। इस कारण उन्हें किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जानी चाहिए।
बीते गुरुवार को वीके सक्सेना ने कोर्ट में आवेदन देकर मौजूदा दिल्ली के उपराज्यपाल पद का हवाला देते हुए मांग की थी कि उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे को स्थगित रखा जाए।
जिसके खिलाफ मेधा पाटकर ने तर्क दिया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल के पद पर आसीन वीके सक्सेना द्वारा मांगी जा रही छूट पूरी तरह से गलत है और केवल वह कोर्ट की कार्यवाही में देरी करने के लिए दायर की गई है।
पाटकर की ओर से दायर किये गये आवेदन में कहा गया है कि उपराज्यपाल का पद राज्य के राज्यपाल के बराबर नहीं है। इस कारण वीके सक्सेना राज्यपाल को मिलने वाली छूट के दायरे से बाहर हैं। उन्होंने कहा, "दिल्ली उपराज्यपाल का पद संविधान के अनुच्छेद 153 के संदर्भ में राज्यपाल का पद नहीं है, बल्कि उपराज्यपाल केंद्र शासित प्रदेश का "प्रशासक" मात्र है। जिसे राष्ट्रपति द्वारा (अनुच्छेद 239 के तहत) कार्य करने के लिए नियुक्त किया जाता है।"
अधिवक्ता गोविंद परमार के माध्यम से दायर जवाब में मेधा पाटकर ने कहा कि वीके सक्सेना ने उपराज्यपाल होने के आधार परप कोर्ट से मांगी गई छूट पूरी तरह से गलत धारणा पर आधारित है क्योंकि वो किसी राज्य के राज्यपाल नहीं हैं।"
मालूम हो कि वीके सक्सेना 2002 में गोधरा कांड के बाद शांति सभा के दौरान अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में मेधा पाटकर पर कथित रूप से हुए हमले के मुकदमे में आरोपी हैं। उस केस में वीके सक्सेना के साथ तत्कालीन भाजपा विधायक अमित शाह, अमित ठाकर और कांग्रेस नेता रोहित एन पटेल भी सह-आरोपी हैं। वीके समेत तमाम आरोपियों पर पर ग़ैरक़ानूनी जमावड़ा, हमला, गलत तरीके से रोकने, आपराधिक धमकी समेत अन्य आरोप में केस दर्ज हैं।
मेधा पाटकर पर हमले के आरोपी वीके सक्सेना ने इस महीने की शुरुआत में कोर्ट में आवेदन दायर करके मांग की थी कि वो भारत के संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत जब तक उपराज्यपाल के पद पर बने रहते हैं, तब तक उनके खिलाफ आपराधिक केस में कार्यवाही नहीं की जा सकती है।"
वीके सक्सेना ने कोर्ट को दिये आवेदन में संवैधानिक प्रावधान का हवाला देते हुए उन्हें उपराज्यपाल के पद पर रहते हुए कार्यवाही के खिलाफ छूट देने की मांग की गई थी। कोर्ट अब इस मामले में 15 मार्च को सुनवाई करेगा।