Delhi High Court: ‘बच्चा गोद लेने’ के अधिकार को अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- माता-पिता के पास चुनने का कोई अधिकार नहीं, किसको गोद लेना है...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 20, 2024 07:47 PM2024-02-20T19:47:10+5:302024-02-20T19:47:58+5:30

Delhi High Court: उच्च न्यायालय ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘गोद लेने के अधिकार को अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं दिया जा सकता है और न ही इसे उस स्तर तक बढ़ाया जा सकता है जिससे पीएपी को यह विकल्प मिले कि किसे गोद लेना है। गोद लेने की प्रक्रिया पूरी तरह बच्चों के कल्याण के आधार पर संचालित होती है।’’

Delhi High Court says right to 'adopt a child' does not have status of fundamental right under Article 21 Parents have no right to choose whom to adopt | Delhi High Court: ‘बच्चा गोद लेने’ के अधिकार को अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- माता-पिता के पास चुनने का कोई अधिकार नहीं, किसको गोद लेना है...

सांकेतिक फोटो

Highlightsदत्तक माता-पिता (पीएपी) के अधिकारों को इस पर तवज्जो नहीं दी जा सकती।गोद लेने की संभावना बहुत कम हो जाती है, इसलिए उपरोक्त नियम का उद्देश्य केवल यही है।विशेष आवश्यकता वाले अधिक से अधिक बच्चों को गोद लिया जाए।

Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि ‘‘बच्चा गोद लेने’’ के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं दिया जा सकता और इसके इच्छुक माता-पिता के पास यह चुनने का कोई अधिकार नहीं है कि किस बच्चे को गोद लेना है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने उस नियम को बरकरार रखा, जिसके तहत दो या दो से अधिक बच्चों वाले दंपति को केवल विशेष जरूरतों वाले या ऐसे बच्चों को गोद लेने की अनुमति दी जाती है, जिन्हें अधिक लोग गोद लेने के इच्छुक नजर नहीं आते। अदालत ने कहा कि इस प्रक्रिया में बच्चों के कल्याण को तरजीह दी जाती है, और भावी दत्तक माता-पिता (पीएपी) के अधिकारों को इस पर तवज्जो नहीं दी जा सकती। उच्च न्यायालय ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘गोद लेने के अधिकार को अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं दिया जा सकता है और न ही इसे उस स्तर तक बढ़ाया जा सकता है जिससे पीएपी को यह विकल्प मिले कि किसे गोद लेना है। गोद लेने की प्रक्रिया पूरी तरह बच्चों के कल्याण के आधार पर संचालित होती है।’’

न्यायाधीश ने कहा कि गोद लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है और कई निःसंतान दंपति और एक बच्चे वाले माता-पिता हैं, जो ‘‘सामान्य बच्चे’’ को गोद लेना चाहेंगे, ऐसे में विशेष जरूरतों वाले बच्चे को गोद लेने की संभावना बहुत कम हो जाती है, इसलिए उपरोक्त नियम का उद्देश्य केवल यही है।

अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित करें कि विशेष आवश्यकता वाले अधिक से अधिक बच्चों को गोद लिया जाए। अदालत का फैसला दो बच्चों वाले कई पीएपी की याचिकाओं पर आया, जिन्होंने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार तीसरे बच्चे को गोद लेने के लिए आवेदन किया था।

Web Title: Delhi High Court says right to 'adopt a child' does not have status of fundamental right under Article 21 Parents have no right to choose whom to adopt

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