Delhi High Court: आधार को अनिवार्य बनाया जाना मूलभूत अधिकारों के विपरीत, हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत प्रवेश पर दिया आदेश
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 21, 2023 06:27 PM2023-09-21T18:27:24+5:302023-09-21T18:28:51+5:30
Delhi High Court: निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस), वंचित समूह (डीजी) और विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों की श्रेणी (सीडब्ल्यूएसएन) के तहत प्रवेश देने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा ‘आधार’ को अनिवार्य करने को स्थगित कर दिया गया था।

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Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस), वंचित समूह (डीजी) और विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों की श्रेणी (सीडब्ल्यूएसएन) के तहत प्रवेश देने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा ‘आधार’ को अनिवार्य करने को स्थगित कर दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने एकल पीठ के अंतरिम आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टय आधार की जरूरत निजता के संवैधानिक प्रावधान का विरोधाभासी है। अदालत ने पिछले सप्ताह पारित आदेश में कहा, ‘‘यह बच्चे की संवेदनशील जानकारी हासिल करने का मुद्दा है।
जैसा कि केएस पुत्तुस्वामी मामले में (उच्चतम न्यायालय) ने टिप्पणी की है कि यह संविधान के अनुच्छेद-21 में प्रदत्त निजता के अधिकार में घुसपैठ कर सकता है।’’ पीठ में न्यायमूर्ति संजीव नरुला भी शामिल थे। अदालत ने रेखांकित किया कि शीर्ष न्यायालय का मानना है कि आधार को अनिवार्य बनाया जाना मूलभूत अधिकारों के विपरीत है जिसकी रक्षा अनुच्छेद 21 में की गई है और इस तरह की बाध्यता को संवैधानिक रूप से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।
अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए यह कहना उपयुक्त होगा कि उक्त परिपत्र प्रथम दृष्टया संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है और इसलिए एकल पीठ ने सही ही रोक लगाई है।’’ एकल पीठ ने एक व्यक्ति की याचिका पर उक्त आदेश पारित किया था। व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि उसका पांच साल का बच्चा 2023 के शैक्षणिक सत्र में गैर वित्तपोषित स्कूलों में प्रवेश के लिए कंप्यूटर आधारित लॉटरी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन पा रहा है क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं है।
दिल्ली सरकार ने 12 जुलाई 2022 और दो फरवरी 2023 को परिपत्र जारी कर राष्ट्रीय राजधानी में ईडब्ल्यूएस, डीजी और सीडब्ल्यूएसएन श्रेणी के तहत गैर वित्तपोषित स्कूलों में प्रवेश के लिए ‘आधार’ को अनिवार्य कर दिया था। अदालत ने रेखांकित किया कि एकल पीठ द्वारा याचिका पर अंतिम निर्णय लेना अभी बाकी है।
पीठ ने कहा, ‘‘अन्य लंबित आवेदनों के साथ इसे खारिज किया जाता है।’’ एकल पीठ द्वारा पारित 27 जुलाई के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर दिल्ली सरकार के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने तर्क दिया कि न्यायाधीश परिपत्र की मंशा और उद्देश्य को सही तरीके से समझने में असफल रहे थे।