दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि चुनाव की प्रक्रिया के दौरान स्वतंत्र रूप से संदेश भेजने पर कोई रोक नहीं लगाई जा सकती है। अदालत ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी के खिलाफ सोशल मीडिया पर संदेश प्रसारित करने से एक शख्स को रोकने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की है।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने एक पक्ष को सुनकर एक राष्ट्रीय दैनिक और गूगल को उम्मीदवार से संबंधित कथित मानहानिपरक सामग्री हटाने के निर्देश देने से इनकार किया। अदालत, आठ फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इस याचिका में भाजपा नेता के खिलाफ कथित मानहानिपरक सामग्री को प्रकाशित करने या प्रसारित करने से अखबार, गूगल और अन्य पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। उनके वकील ने दावा किया कि व्हाट्सएप पर एक शख्स पर उन संदेशों को प्रसारित करने से रोक लगाई जाए जो उम्मीदवार पर बलात्कार के अपराध का आरोप लगाता है, क्योंकि प्रत्याशी को यहां की एक अदालत ने इस आरोप से मुक्त कर दिया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि उम्मीदवार को बलात्कार के आरोप से भले ही बरी कर दिया हो, लेकिन उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (दुराचार), 354 ए (यौन उत्पीड़न), 354 बी (महिला को निर्वस्त्र करने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल), 354 डी (पीछा करना), 201 (सबूत मिटाना), 506 (धमकी देना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत आरोपी है और इस बाबत प्राथमिकी दर्ज है। अदालत ने मुकदमे के पक्षकारों को समन जारी किया और इसे 19 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया।