दिल्ली हाईकोर्ट ने यूनिटेक के संस्थापक रमेश चंद्रा को मेडिकल ग्राउंड पर दी जमानत, 85 साल की उम्र में थे सलाखों के पीछे
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 31, 2022 03:27 PM2022-07-31T15:27:57+5:302022-07-31T15:31:19+5:30
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस जसमीत सिंह ने यूनिटेक के संस्थापक रमेश चंद्रा की जमानत के मामले में सुनवाई की और प्रवर्तन निदेशालय के विरोध के बावजूद 85 साल के चंद्रा को मेडिकल ग्राउंड पर जेल से रिहा करने का आदेश दिया।
दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने रियल्टी फर्म यूनिटेक के संस्थापक रमेश चंद्रा को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में आठ हफ्ते की मेडिकल जमानत दे दी है। चंद्रा 85 साल की उम्र में जेल की सलाखों के पीछे थे। हाईकोर्ट के जस्टिस जसमीत सिंह ने इस मामले में सुनवाई की और प्रवर्तन निदेशालय के विरोध के बावजूद रमेश चंद्रा को मेडिकल ग्राउंड पर इलाज कराने के लिए 8 हफ्तों के लिए जेल से रिहा करने का आदेश दिया। चंद्रा को जमानत पर आजाद होने के लिए 25,000 हजार रुपये के जमानती बांड भरने पर जेल से रिहा कर दिया जाएगा।
अदालत में जमानत के लिए अर्जी दाखिल करते हुए यूनिटेक के संस्थापक रमेश चंद्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट से अपील की कि उनके मेडिकल रिकॉर्ड को देखने से यह स्पष्ट होता है कि उन्हें फौरन बेहतर चिकित्सा की जरूरत है और चूंकि वो 85 साल के हैं लिहाजा उम्र जनित बीमारियों के कारण जेल में उनकी स्थिति बेहद खराब हो गई है, लिहाजा कोर्ट उन्हें इलाज कराने के लिए जेल से रिहा करने का आदेश दे।
चंद्रा के वकील विशाल गोसाईं ने कोर्ट के बताया कि वो संज्ञाहीन और मनोभ्रंश के शिकार हैं। उन्हें कार्डियोलॉजिकल के साथ-साथ न्यूरोलॉजिकल सहायता की भी सख्त जरूरत है। वो जेल में कई बार गिर चुके हैं, उनका वजन तेजी से कम हो रहा है और उनकी याददाश्त भी कमजोर होती जा रही है।
वकील विशाल गोसाईं की कहा कि 85 साल की उम्र में चंद्रा को तंत्रिका और हृदय संबंधी गंभीर बीमारियां हैं। इस कारण उन्हें तत्काल बेहतर इलाज की जरूरत है। उन्हें जरूर होने पर तत्काल जीवन रक्षक दवा, ऑक्सीजन और इंजेक्शन की आवश्यकता हो सकती है ऐसे में वह अगर जेल में रहेंगे तो उन्हें यह सब सुविधाएं नहीं उपलब्ध हो पाएंगी।
चंद्रा के वकील की दलील सुनने के बाद अदालत ने कहा, "ऐसी दलीलों को सुनने और परखने के बाद कोर्ट का विचार है कि याचिकाकर्ता को आठ सप्ताह की अवधि के लिए चिकित्सा जमानत दे दी जाए।" लेकिन इसके साथ ही अदालत ने चंद्रा की रिहाई में यह शर्त भी लगाई कि वो चंद्रा को अस्पताल जाने के अलावा और कहीं नहीं जा सकते हैं। वह या तो अस्पताल में रहेंगे या फिर घर में रहेंगे। इसके अलावा वो किसी से भी मोबाइल फोन पर बात नहीं करेंगे।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि चंद्रा अपने केस से संबंधित किसी गवाह या पीड़ित परिवार के किसी सदस्य के साथ कोई संपर्क नहीं करेंगे और न ही स्वयं से संबंधित मामले के सबूतों के साथ छेड़छाड़ का प्रयास करेंगे। अदालत ने इस बात को भी स्पष्ट किया कि चंद्रा जब भी अस्पताल जाएंगे या आएंगे वो इसकी सूचना संबंधित जांच अधिकारी को भी देंगे।
वहीं इस मामले में रमेश चंद्रा की जमानत का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट से कहा कि आरोपी को जेल में सभी आवश्यक दवाएं और चिकित्सा सहायता मुहैया कराई जा रही है और अगर उसे मेडिकल जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह जांच में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय की दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि जीवन का बचाव ज्यादा जरूरी है और उन्हें जमानत के साथ कई तरह के निर्देश दिये जा रहे हैं। वो 8 हफ्तों में अपनी बीमारी का इलाज कर लें। उसके बाद पेश की गई चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर आगे इन बातों को सोचा जाएगा। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)