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INX मीडिया घोटाला: दिल्ली हाईकोर्ट में पी चिदंबरम की याचिका खारिज, कभी भी अरेस्ट हो सकते हैं, अंतरिम जमानत से इनकार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 20, 2019 15:13 IST

इस बीच, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पी. चिदंबरम से मुलाकात की और आईएनएक्स मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पी. चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय से संपर्क करने के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से इनकार किया।

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ठळक मुद्देदिल्ली हाईकोर्ट ने पी चिदंबरम की याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने इस मामले में 25 जनवरी को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।

आईएनएक्स मीडिया घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन मामलों में कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत अर्जी पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने पी चिदंबरम की याचिका खारिज कर दी है। अब पूर्व वित्त मंत्री पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। 

इस बीच, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पी. चिदंबरम से मुलाकात की और आईएनएक्स मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पी. चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय से संपर्क करने के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से इनकार किया। सिब्बल वकीलों की टीम के साथ आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील का उल्लेख करने की संभावना तलाश रहे हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आईएनएक्स मीडिया घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन मामलों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने चिदंबरम को राहत देने से इनकार कर दिया।

सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए मीडिया समूह को दी गयी एफआईपीबी मंजूरी में अनियमितताएं हुयी थीं। ईडी ने 2018 में इस संबंध में धनशोधन का मामला दर्ज किया था।

न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने इस मामले में 25 जनवरी को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। जिरह के दौरान सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय दोनों ने ही चिदंबरम की अर्जी का इस आधार पर विरोध किया था कि उनसे हिरासत में पूछताछ जरूरी है क्योंकि वह सवालों से बच रहे हैं। 

दोनों जांच एजेंसियों ने दलील दी थी कि चिदंबरम के वित्तमंत्री के तौर पर कार्यकाल के दौरान मीडिया समूह को 2007 में विदेश से 305 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त करने के लिए एफआईपीबी मंजूरी प्रदान की गई थी। 

प्रवर्तन निदेशालय ने दलील दी कि जिन कंपनियों में धनराशि हस्तांतरित की गई वे सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर चिदंबरम के पुत्र कार्ति द्वारा नियंत्रित हैं और उनके पास यह मानने का एक कारण है कि आईएनक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) मंजूरी उनके पुत्र के हस्तक्षेप पर प्रदान की गई। 

उच्च न्यायालय ने 25 जुलाई 2018 को चिदंबरम को दोनों ही मामलों में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था जिसे समय समय पर बढ़ाया गया। 

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