दिल्ली के अस्पताल में ड्यूटी के दौरान मलयालम बोलने पर बैन! विवाद बढ़ने के बाद वापस लिया गया फैसला
By दीप्ती कुमारी | Published: June 6, 2021 02:41 PM2021-06-06T14:41:34+5:302021-06-06T14:58:50+5:30
दिल्ली के गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट आफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च अस्पताल ने भाषा को लेकर जारी किए अपने सर्कुलर को वापस ले लिया है। इसमें स्टाफ को ड्यूटी के दौरान मलयालम भाषा का उपयोग करने से मना किया गया था।
दिल्ली: दिल्ली के गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट आफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च अस्पताल (जीबी पंत अस्पताल) ने शनिवार को एक सर्कुलर जारी कर अपने स्टाफ को बातचीत की भाषा के लिए केवल हिंदी और अंग्रेजी भाषा का उपयोग करने का निर्देश दिया था। हालांकि बाद में विवाद के बाद रविवार को अस्पताल प्रशासन ने अपना आदेश वापस ले लिया है ।
इस मामले में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन द्वारा अस्पताल को तुरंत सर्कुलर वापस लेने का आदेश देने के बाद दिया गया। दिल्ली के सरकारी गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल के चिकित्सा निदेशक ने रविवार को कहा कि 'अस्पताल ने एक दिन पहले जारी किए अपने उस विवादास्पद आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें नर्सिंग कर्मचारियों से मलयालम भाषा में बात नहीं करने को कहा गया था।
Circular directing nursing staff to communicate only in English/Hindi issued by Nursing Superintendent without any instructions/knowledge of hospital administration & Delhi government, stands withdrawn with immediate effect: Medical Superintendent, GB Pant Institute pic.twitter.com/LN33sfLp0L
— ANI (@ANI) June 6, 2021
चिकित्सा निदेशक डॉ. अनिल अग्रवाल ने पीटीआई से कहा, ‘‘इस परिपत्र को वापस लेने का औपचारिक आदेश जल्द जारी किया जाएगा। मामले की जांच की जा रही है और इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।’’
उल्लेखनीय है कि अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक लीलाधर रामचंदानी ने शनिवार को एक परिपत्र जारी करके अपने नर्सिंग कर्मचारियों को काम के दौरान मलयालम भाषा में बात नहीं करने को कहा था, क्योंकि ‘‘अधिकतर मरीज और सहकर्मी इस भाषा को नहीं जानते हैं,’’ जिसके कारण बहुत असुविधा होती है।
दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों में से जीबी पंत द्वारा जारी परिपत्र में नर्सों से कहा गया था कि वे संवाद के लिए केवल हिंदी और अंग्रेजी का उपयोग करें अन्यथा ‘‘कड़ी कार्रवाई’’ का सामना करने के लिए तैयार रहें ।
इस मामले में कई राजनेताओं ने भी आपत्ति जताई थी। इस आदेश के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे भाषा भेदभाव और शशि थरूर ने मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया था ।