Delhi Elections: अरविंद केजरीवाल ने ऐसे जीता दिल्ली का दिल, भारतीय राजनीति को दिया नया मोड़ 

By नितिन अग्रवाल | Published: February 12, 2020 05:50 PM2020-02-12T17:50:41+5:302020-02-12T17:50:41+5:30

Delhi Elections result 2020: बीजेपी ने जांचे परखे हिंदुस्तान-पाकिस्तान और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर केजरीवाल को घेरा लेकिन वह बीच के रास्ते से बच निकले. सीएए और एनआरसी पर उनका विरोध नपा तुला रहा.

Delhi Elections result 2020: Arvind Kejriwal victory Delhi issues, Indian politics, aam aadmi party bjp congress | Delhi Elections: अरविंद केजरीवाल ने ऐसे जीता दिल्ली का दिल, भारतीय राजनीति को दिया नया मोड़ 

अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

Highlightsभारतीय लोकतंत्र में अरविंद केजरीवाल पहले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जिन्होंने चुनाव जीतने के बाद जनता को 'आईलवयू' कहा हो.रामलीला मैदान के अन्ना आंदोलन से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने के बाद अब वह तीसरी बार वहां शपथ लेने जा रहे हैं.

भारतीय लोकतंत्र में अरविंद केजरीवाल पहले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जिन्होंने चुनाव जीतने के बाद जनता को 'आईलवयू' कहा हो. रामलीला मैदान के अन्ना आंदोलन से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने के बाद अब वह तीसरी बार वहां शपथ लेने जा रहे हैं. लंबे समय बाद अपने का कामकाज के आधार पर प्रचंड जीत हासिल कर उन्होंने भारतीय राजनीति को नया मोड़ दिया है. 

दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल से मुकाबले के लिए केजरीवाल ने समय रहते रणनीति बनाई और इसमें लगातार सुधार किया. पूरे चुनाव वह अपनी पिच पर मजबूती से जमे रहे और बीजेपी की हर गुगली का जवाब वह संयमित राष्ट्रवाद और सामंजस्यवादी राजनीति के चौके छक्के जड़ते रहे.

दिल्ली चुनावः केजरीवाल ने आम लोगों को दी राहत

केजरीवाल ने वादे के मुताबिक दिल्ली के आम लोगों की जिंदगी को आसान बनाने की कोशिश की. उन्होंने बिजली पानी के बिल में छूट देकर आर्थिक जद्देजहद में उलझे परिवारों को लगभग दस हजार रुपए सालाना तक का फायदा पहुंचाया. दिल्ली वाले मेट्रो के मंहगे सफर की मार से हलकान हुए तो केजरीवाल ने बस में महिलाओं का टिकट माफ कर उनका दिल जीता. सरकारी  स्कूलों में सुधार और मुफ्त इलाज की सुविधा भी दी और उसका श्नेय लेने में भी कामयाब रहे. 

दिल्ली चुनावः हिंदुस्तान-पाकिस्तान और राष्ट्रवाद के मुद्दे 

बीजेपी ने जांचे परखे हिंदुस्तान-पाकिस्तान और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर केजरीवाल को घेरा लेकिन वह बीच के रास्ते से बच निकले. सीएए और एनआरसी पर उनका विरोध नपा तुला रहा. शाहीन बाग को लेकर भी बीजेपी उन्हें उकसाती रही लेकिन वह बीच का रास्ते की बात करते रहे. इतना ही नहीं उन्होंने राष्ट्रनिर्माण के नाम पर आम आदमी पार्टी से जुड़ने की अपील कर बीजेपी के राष्ट्रवाद की धार को मोथरा कर दिया. 

दिल्ली चुनावः अरविंद केजरीवाल ने बजरंगबली की शरण ली

बीजेपी के हिंदू कार्ड की काट में वह बजरंगबली की शरण में पहुंच गए. चुनाव के दौरान दिल्ली की जनता को पहली बार यह मालूम पड़ा कि अन्ना आंदोलन के मंच से इंसान से इंसान के भाईचारे का गीत गाने वाले  केजरीवाल असल में हनुमान भक्त हैं. 

दिल्ली चुनावः पीएम मोदी से नहीं टकराए केजरीवाल

पूरी बीजेपी केजरीवाल और उनकी सरकार पर निशाना साधती रही लेकिन उन्होंने अपनी पिछली गलतियों से सबक लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी से टकराने से बचे. पूरे चुनाव में उन्होंने मोदी का नाम तक नहीं लिया और अपने चुनाव को पूरी तरह विकास पर ही केंद्रित रखा. 

दिल्ली चुनावः बीजेपी ने नहीं दिया विकल्प

इस चुनाव में मुकाबला केजरीवाल और बीजेपी के बीच था. कांग्रेस तो अघोशित रुप से रस्मअदायगी के लिए ही मैदान में उतरी थी. हालांकि बीजेपी ने केजरीवाल के मुकाबले कोई नेता पेश नहीं किया. विकल्प के अभाव का फायदा भी केजरीवाल को ठीक उसी तरह मिला जिस तरह लोकसभा चुनाव में मोदी के मुकाबले कोई चेहरा नहीं होने का बीजेपी उठाती है. 

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