दिल्ली: ससुर समेत परिवार पर गैंगरेप का झूठा आरोप लगाने पर कोर्ट का एक्शन, महिला समेत उसके पिता पर FIR दर्ज

By अंजली चौहान | Published: May 18, 2023 02:33 PM2023-05-18T14:33:19+5:302023-05-18T15:00:06+5:30

महिला द्वारा पति, ससुर और अन्य सदस्यों पर उसके साथ गैंगरेप करने का झूठा केस दर्ज कराने पर अदालत ने महिला के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है।

Delhi Court action on false allegation of gangrape on family including father-in-law, FIR lodged against woman including her father | दिल्ली: ससुर समेत परिवार पर गैंगरेप का झूठा आरोप लगाने पर कोर्ट का एक्शन, महिला समेत उसके पिता पर FIR दर्ज

फाइल फोटो

Highlightsमहिला ने ससुर पर लगाया रेप का झूठा आरोप कोर्ट ने महिला के साथ उसके पिता के खिलाफ केस दर्ज करने का दिया आदेश जांच के बाद अदालत ने पीड़ित परिवार के सदस्यों को बरी कर दिया

नई दिल्ली: एक महिला के द्वारा अपने पति और ससुराल वालों पर बलात्कार, क्रूरता और गलत तरीके से कैद करने के आरोप लगाए हैं।

इन आरोपों के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत ने फैसला सुनाते हुए पाया कि महिला द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं जिसके बाद कोर्ट ने महिला के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है।

दरअसल, महिला ने अपने पति, ससुर और अन्य सदस्यों पर उसके साथ गैंगरेप करने का झूठा केस दर्ज कराया था। मगर जांच के बाद सामने आया कि महिला के आरोप झूठे हैं जिसके बाद कोर्ट ने महिला और उसके पिता के खिलाफ पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

इस दौरान कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराध है जिससे सख्ती से निपटने की आवश्यकता है लेकिन महिला ने इसका गलत फायदा उठाया और झूठा आरोप लगाया।

कोर्ट ने कहा कि बलात्कार जैसे झूठे आरोपों से भी सख्ती से निपटने की आवश्यकता है क्योंकि इन आरोपों से अभियुक्त का बहुत अपमान होता है और इसमें उसके परिवार और निकट के लोगों सहित संबंधित को अलग-थलग करने की क्षमता होती है।

अदालत ने पुलिस को संबंधित एसएचओ पीएस जनकपुरी को वर्तमान निर्णय प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर महिला और उसके पिता के खिलाफ आईपीसी की धारा 211 (चोट पहुंचाने के इरादे से किए गए अपराध का झूठा आरोप) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है।

आदेश में पुलिस को तीन महीने के भीतर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष जांच की एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। 

जानकारी के अनुसार, कोर्ट ने 9 मई को आदेश पारित करते हुए महिला के पति को बरी कर दिया था।

पति पर धारा 498A (पति या पति के रिश्तेदार द्वारा क्रूरता), 342 (गलत कारावास), 323 (चोट), 406 (विश्वास का आपराधिक उल्लंघन), 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोपित ) और 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के साथ-साथ ससुर और ननद जिन पर आईपीसी की धारा 376 डी (सामूहिक बलात्कार) के तहत अतिरिक्त आरोप लगाए गए थे।

व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों को बरी करते हुए, अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष कथित अपराधों को साबित करने में बुरी तरह विफल रहा।

इसमें कहा गया है कि तीन आरोपियों के खिलाफ महिला के पिता द्वारा दायर की गई शिकायत में विकृत और काल्पनिक तथ्य पेश किए गए हैं ताकि आरोपी व्यक्ति उसकी शर्तों से सहमत हो सकें।

महिला ने ये आरोप उस समय लगाया जब उसके वैवाहिक जीवन में कलह पैदा हुई तो उसने झूठे आरोपों का सहारा लिया और बयान दिया। 

बता दें कि महिला जो एक कानून की छात्रा थी और परीक्षण के समय तक स्नातक की उपाधि प्राप्त कर चुकी थी, और उसके पिता, जो पेशे से एक वकील थे, उन्होंने इस तरह का झूठा आरोप लगाकर अपने पेशे के कर्तव्य का हनन किया है।

कोर्ट ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनका कार्य वह नहीं है जिसे सरल अतिशयोक्ति कहा जा सकता है, लेकिन वही है जो निश्चित रूप से एक अवैध कार्य के दायरे में आएगा और आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराध का झूठा आरोप लगाने का अपराध है।

अदालत ने यह आदेश उस मामले में पारित किया था, जिसमें महिला के पिता द्वारा की गई शिकायत के आधार पर 2014 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपी पति ने ससुर और ननद के साथ दहेज की मांग की और उसका इस्तेमाल किया। इसके लिए उसे पीटना और प्रताड़ित करना। महिला ने सास-ससुर पर सामूहिक दुष्कर्म का भी आरोप लगाया था।

Web Title: Delhi Court action on false allegation of gangrape on family including father-in-law, FIR lodged against woman including her father

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