कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते देश को 3 मई तक के लिए लॉकडाउन किया गया है। इस दौरान किसी को भी बिना कार्य के बाहर निकले निकलने की अनुमति नहीं है और घरों में ही रहने के लिए कहा गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में मौलवियों ने समुदाय से अपील की है कि वे रमजान के दौरान घरों में ही नमाज अदा करें और बाहर नहीं निकलें।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के मौलवियों ने लोगों से पवित्र माह रमजान के दौरान घर में नमाज अदा करने का अनुरोध किया। मौलवी मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि हमें घर पर रहना चाहिए और खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखना चाहिए। अगर हम उपवास करते हैं और घर पर नमाज पढ़ते हैं तो इससे कोई समस्या नहीं उत्पन्न नहीं होगी।
इससे पहले केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मुस्लिम समुदाय से आह्वान किया था कि कोरोना संकट को ध्यान में रखते हुए कुछ दिनों बाद शुरू हो रहे रमजान के पवित्र महीने के दौरान लोग लॉकडाउन एवं सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनाए रखने का पूरी तरह पालन करें और अपने घरों में ही इबादत व इफ्तार करें।
इधर, तमिलनाडु सरकार ने बीते दिन गुरुवार को कहा कि राज्य में हर बार की तरह इस बार रमजान के दौरान मस्जिदों में उसके द्वारा दिए गए चावल से खिचड़ी नहीं बनाया जाए, बल्कि इस चावल को जरूरतमंद मुसलमानों के बीच बांट दिया जाए। सरकार के अनुसार कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण मस्जिदों में दलिया तैयार नहीं किया जा सकता क्योंकि पूरे देश में धार्मिक स्थल बंद है।
दरअसल, तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता ने रजमान के दौरान इफ्तार के लिये दलिया बनाने के वास्ते मस्जिदों को मुफ्त में चावल मुहैया कराने का ऐलान किया था। तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने कहा है कि मस्जिदों, दरगाहों और इमामबाड़ों में नमाज पढ़ने और इफ्तार करने से परहेज करें। हर साल मस्जिदों और दरगाहों को दलिया बनाकर गरीबों में बांटने के लिये 5,450 टन चावल मुहैया कराया जाता है। इस बार भी इतना ही चावल 19 अप्रैल तक 2,895 मस्जिदों में पहुंचा दिया जाएगा, जिसे मस्जिद प्रबंधन स्वयंसेवकों की मदद से 22 अप्रैल से पहले जरूरतमंद मुसलमानों के बीच बांट सकता है।