दिल्ली: भारत में कोरोना वैक्सीन के तौर पर दी जा रही 'कोविशील्ड' की निर्माता कंपनी सीरम इंस्टट्यूट ने भी कानूनी संरक्षण की मांग की है। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार एक सूत्रों ने कहा, 'केवल सीरम इंस्टट्यूट ही नहीं बल्किसभी वैक्सीन कंपनियों को कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा (indemnity protection against liabilities) मिलनी चाहिए।'
सूत्रों के मुताबिक सीरम ने कहा है कि सभी के लिए नियम एक जैसे होने चाहिए। दरअसल, ऐसी खबरें हैं कि भारत में कोरोना की वैक्सीन की कमी को पूरा करने के लिए सरकार फाइजर और मॉडर्ना जैसी कंपनियों से भी बात कर रही है। सूत्रों के अनुसार इन अमेरिकी कंपनियों ने हालांकि सरकार से किसी गंभीर साइड इफेक्ट की स्थिति में कानूनी कार्रवाई के खिलाफ सुरक्षा की मांग की है।
भारत में किसी वैक्सीन निर्माता कंपनी को नहीं मिली है कानूनी सुरक्षा
हालांकि सरकार ने अभी किसी कंपनी को ऐसी सुरक्षा नहीं दी है। इससे पहले पिछले साल भी फाइजर भारत सरकार के साथ वैक्सीन के देश में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए संपर्क में था। हालांकि तब भी कानूनी संरक्षण को लेकर बात नहीं बन सकी थी।
इससे पहले बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से ये बात सामने आई थी कि सरकार कानूनी सरंक्षण देने पर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार अन्य देशों की शर्तों के उदाहरण को देखते हुए सरकार इन कंपनियों को संरक्षण दे सकती है।
क्या होता है कानूनी सुरक्षा (indemnity)?
दरअसल indemnity एक तरह से वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के लिए सुरक्षा है। इसके तहत अगर किसी को वैक्सीन की डोज लेने के बाद कोई गंभीर साइडइफेक्ट होता है तो वह इन कंपनियों के खिलाफ किसी तरह से मुआवजे या अन्य हर्जाने के लिए दावा नहीं कर सकता है।
ऐसे मामलों में सरकार जरूर कंपनियों की जगह उचिता मुआवजा दे सकती है। चूकी देश में इस समय वैक्सीन की बहुत ज्यादा मांग हैं और उसके अनुपात में उत्पादन कम है, तो ऐसे में सरकार विदेशी वैक्सीन को मंगाने पर विचार कर रही है।
अमेरिका जैसे देशों में इन कंपनियों को ये सुरक्षा प्राप्त है। हालांकि भारत में अभी तक किसी वैक्सीन निर्माता कंपनी को ऐसा सरंक्षण नहीं दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक भारत बायोटेक कंपनी भी पूर्व में कई बैठकों में संरक्षण की मांग सरकार के सामने उठा चुकी है।