नई दिल्लीः कोरोना वायरस के चलते देश को 17 मई तक के लिए लॉकडाउन है। इसके बावजूद भी संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को देश में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 52 हजार, 952 पहुंच गई है और 1783 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि राहत की बात यह है कि 15 हजार, 266 लोग ठीक हो चुके हैं और एक मरीज देश छोड़कर बाहर चला गया था। कुल मिलाकर 35 हजार, 902 मरीज अभी सक्रीय हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों के दौरान 3561 मामले सामने आए हैं, जिसके बाद संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 52 हजार, 952 पहुंच गई। इसमें कुल मामलों में 111 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं।मंत्रालय के अनुसार गुरुवार सुबह तक, गुजरात में 396, महाराष्ट्र में 651, राजस्थान में 92, पश्चिम बंगाल में 144, उत्तर प्रदेश में 60, पंजाब में 27, तमिलनाडु में 35, कर्नाटक में 29 और हिमाचल प्रदेश में 2 की मौत हो चुकी हैं।
इधर, कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों में वृद्धि की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेल के डिब्बों को कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीज या मामूली एवं बहुत मामूली श्रेणी वाले संक्रमित मरीजों के लिए कोविड देखभाल केंद्र के रुप में उपयोग करने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी “कोविड-19 के संदिग्ध / पुष्ट मामलों के उचित प्रबंधन संबंधी दिशानिर्देश: रेलवे कोच - कोविड देखभाल केंद्र केयर’ के अनुसार मरीजों को उनके लक्षणों और नैदानिक स्थिति के अनुसार डिब्बों में भर्ती किया जाएगा। लक्षणों या स्वास्थ्य स्थित में बदलाव होने पर उन्हें निर्दिष्ट केंद्र या अस्पताल में भेजा जाएगा।
एक आधिकारिक सूत्र के अनुसार, यह पता नहीं चला है कि ये डॉक्टर, नर्स और पराचिकित्सा कर्मी कहां से संक्रमण की चपेट में आए। इन आंकड़ों में राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्र तथा राज्य सरकार के अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर, नर्स तथा पराचिकित्सक शामिल हैं। आधिकारिक सूत्रों ने कहा, ‘‘मामलों की महामारी विज्ञान संबंधी कोई जांच नहीं हुई तो इस बात की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि कितने लोग कार्यस्थल पर बीमारी की चपेट में आए और कितने सामुदायिक रूप से इसकी चपेट में आए।’’