अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस के अधिकार को लेकर राजद्रोह कानून की व्याख्या पर गौर करेगा न्यायालय

By भाषा | Updated: May 31, 2021 16:30 IST2021-05-31T16:30:56+5:302021-05-31T16:30:56+5:30

Court will look into the interpretation of sedition law regarding freedom of expression, right of press | अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस के अधिकार को लेकर राजद्रोह कानून की व्याख्या पर गौर करेगा न्यायालय

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस के अधिकार को लेकर राजद्रोह कानून की व्याख्या पर गौर करेगा न्यायालय

नयी दिल्ली, 31 मई उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह विशेषकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया के अधिकारों के संदर्भ में राजद्रोह कानून की व्याख्या की समीक्षा करेगा।

न्यायालय ने कथित राजद्रोह को लेकर दो तेलुगू समाचार चैनलों टीवी 5 और एबीएन आंध्रज्योति के खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर सोमवार को रोक लगा दी।

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बागी सांसद के रघु राम कृष्ण राजू के 'आपत्तिजनक' भाषण प्रसारित करने के कारण आंध्र प्रदेश पुलिस ने दोनों चैनलों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों - 124ए (राजद्रोह) और 153 (विभिन्न वर्गों के बीच कटुता को बढ़ावा देना) की व्याख्या की जरूरत है, खासकर प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर।’’

न्यायालय ने प्राथमिकी के संबंध में आंध्र प्रदेश पुलिस को इन चैनलों और उनके कर्मचारियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया।

पीठ ने चैनलों की याचिकाओं पर राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। इन चैनलों के खिलाफ राजद्रोह सहित विभिन्न अपराधों के लिए आरोप लगाए गए हैं।

दोनों मीडिया हाउस ने आंध्र प्रदेश में राजद्रोह के मामले में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध करते हुए हाल में शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। एक मीडिया हाउस ने दावा किया कि यह प्रयास राज्य में समाचार चैनलों को ‘‘डराने’’ का एक प्रयास है ताकि वे सरकार की आलोचना वाली सामग्री को दिखाने से बचें।

टीवी 5 समाचार चैनल की स्वामी श्रेया ब्रॉडकास्टिंग प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि राज्य ऐसी ‘‘भ्रामक प्राथमिकी’’ दर्ज कर और कानून का दुरुपयोग कर अपने आलोचकों और मीडिया का ‘‘मुंह बंद करना’’ चाहता है।

टीवी चैनल के खिलाफ प्राथमिकी का संबंध सांसद राजू के विरूद्ध दर्ज राजद्रोह के मामले से है जिन्हें पहले ही आंध्र प्रदेश पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।

चैनलों ने दावा किया कि यह प्राथमिकी राजू के बयानों को दिखाने के कारण दर्ज की गयी है, जो अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के आलोचक रहे हैं।

चैनलों ने आंध्र प्रदेश प्राधिकार को अपने खिलाफ दर्ज मामले के संदर्भ में चैनलों के प्रबंधन और कर्मचारियों के खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने मामले में राजू को गिरफ्तार किया है और दोनों चैनलों को भी आरोपी बनाया है।

सर्वोच्च अदालत ने इसी मामले में सांसद राजू को पहले ही जमानत दे दी है।

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Web Title: Court will look into the interpretation of sedition law regarding freedom of expression, right of press

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