न्यायालय ने एक एनजीओ के प्रमुख से कहा : आपको दुर्व्यवहार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती

By भाषा | Updated: October 7, 2021 16:08 IST2021-10-07T16:08:40+5:302021-10-07T16:08:40+5:30

Court told the head of an NGO: You cannot be allowed to misbehave | न्यायालय ने एक एनजीओ के प्रमुख से कहा : आपको दुर्व्यवहार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती

न्यायालय ने एक एनजीओ के प्रमुख से कहा : आपको दुर्व्यवहार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती

नयी दिल्ली, सात अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के अध्यक्ष से कहा कि उन्हें दुर्व्यवहार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और उन्होंने अब तक सीख नहीं ली है। इस संगठन के अध्यक्ष को अदालत को ‘बदनाम करने तथा धमकी’ देने के लिए 25 लाख रुपये का जुर्माना जमा नहीं करने पर अवमानना ​​​​का दोषी ठहराया गया है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘ आप समझते हैं कि हर किसी को धमकी देकर, चाहे यह पीठ हो या अन्य लोगों को धमकी देकर, सरकार को धमकी देकर, अन्य लोगों को धमकी देकर, आप लोगों को पीछे हटने के लिए मजबूर कर सकते हैं। आपने ऐसा कहा है... हम आपको दुर्व्यवहार करने की अनुमति देने को तैयार नहीं हैं।”

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने यह टिप्पणी की। इसके साथ ही पीठ ने एनजीओ 'सुराज इंडिया ट्रस्ट' के अध्यक्ष राजीव दहिया की सजा को अगले साल जनवरी तक के लिए टाल दिया। दहिया ने कहा कि उन्होंने बिना शर्त माफी मांग ली है और अदालत उनके प्रति दयालु रही है।

हालांकि पीठ ने कहा, “हमने आपके प्रति दयालु होने की कोशिश की, लेकिन आप ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो इस दया को बहुत अच्छी तरह से स्वीकार करते हैं। पूरी समस्या यही है।"

दहिया ने कहा कि शुरू में उन्होंने सर्वोच्च अदालत के आदेश की "गलत व्याख्या" की थी।

पीठ ने कहा कि वह कानून से अच्छी तरह अवगत हैं तथा अदालत के समक्ष संवैधानिक मुद्दों पर बहस करते रहे हैं। इसके साथ ही पीठ ने कहा, ‘‘हमारे लिए किसी को दोषी ठहराना कोई खुशी की बात नहीं है। यही आखिरी उपाय है। लेकिन आप आगे बढ़ते ही गए... आपने कोई सबक नहीं सीखा।’’

पीठ ने कहा कि उन्होंने बिना शर्त माफी मांगने के लिए आवेदन दिया है और न्यायालय सजा टाल देगा। पीठ ने कहा, ‘‘हम सजा टाल देंगे। देखते हैं कि आपका व्यवहार कैसा रहता है।’’

पीठ ने मामले को अगले साल 11 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया है।

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Web Title: Court told the head of an NGO: You cannot be allowed to misbehave

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