नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय इस कानूनी मुद्दे पर विचार करने को सहमत हो गया है कि प्रवर्तन निदेशालय धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोपी व्यक्ति की पैतृक संपत्ति को ‘अपराध के जरिए प्राप्त लाभ’ मानकर उनकी जब्ती कर सकता है या नहीं।
यह विषय उच्चतम न्यायालय के विचारार्थ एक अपील के जरिए आया जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने इस आदेश में कहा है कि पैतृक संपत्ति के संबंध में पीएमएलए के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
उच्च न्यायालय ने मामले में दो आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही भी खारिज कर दी।
उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की अपील पर आठ अक्टूबर के आदेश में आरोपी को नोटिस जारी किये और उन्हें चार हफ्ते के भीतर इसका जवाब देने का निर्देश दिया।
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि उच्च न्यायालय ने यह कहकर स्पष्ट गलती की है कि रिट याचिकाकर्ता की पैतृक संपत्ति के मामले में पीएमएलए के तहत कार्रवाई नहीं जा सकती।
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की टिप्पणी 2002 के पीएमएलए कानून की ‘अपराध से प्राप्त लाभ’ से संबंधित धारा 2(1)(यू) में दी गई व्याख्या की विरोधाभासी है।
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