न्यायालय ने ‘मीडिया न्यायाधिकरण’ गठित करने की मांग वाली याचिका पर केन्द्र से मांगा जवाब

By भाषा | Updated: January 25, 2021 16:14 IST2021-01-25T16:14:43+5:302021-01-25T16:14:43+5:30

Court seeks response from Center on plea seeking to set up 'Media Tribunal' | न्यायालय ने ‘मीडिया न्यायाधिकरण’ गठित करने की मांग वाली याचिका पर केन्द्र से मांगा जवाब

न्यायालय ने ‘मीडिया न्यायाधिकरण’ गठित करने की मांग वाली याचिका पर केन्द्र से मांगा जवाब

नयी दिल्ली, 25 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर केन्द्र सरकार, ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया’ (पीसीआई) और ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन’ (एनबीए) से जवाब मांगा, जिसमें मीडिया, चैनलों और नेटवर्क के खिलाफ शिकायतों पर सुनवाई के लिए ‘मीडिया न्यायाधिकरण’ गठित करने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया कि मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, एक बेलगाम घोड़े की तरह हो गया है, जिसे नियंत्रित किए जाने की जरूरत है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की एक पीठ ने याचिका पर संज्ञान लिया, जिसमें मीडिया व्यवसाय नियमों से संबंधित संपूर्ण कानूनी ढांचे पर गौर करने और दिशानिर्देशों पर सुझाव देने के लिए भारत के एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश या शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की अध्यक्षता में स्वतंत्र समिति गठित करने की भी मांग की गई है।

पीठ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, पीसीआई और एनबीए के अलावा, ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन’ (एनबीएफ) और ‘न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी’ (एनबीएसए) को भी नोटिस जारी किया। यह अर्जी फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा और सिविल इंजीनियर नितिन मेमाने ने संयुक्त रूप से दायर की है। इसकी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की गई।

उच्चतम न्यायालय ने याचिका को इसी मामले पर लंबित अन्य याचिका के साथ संलग्न कर दिया है।

अधिवक्ताओं राजेश इनामदार, शाश्वत आनंद और अमित पई के जरिये दायर की गई इस याचिका में कहा गया है कि यह अर्जी मीडिया-व्यवसाय के मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाने के लिए नहीं है, यह केवल गलत सूचना, भड़काऊ कवरेज, फर्जी समाचार और निजता के उल्लंघन के लिए कुछ जवाबदेही लाने के लिए है।

इसमें व्यापक नियामक प्रतिमान को रेखांकित करने वाले दिशानिर्देशों को तैयार करने का अनुरोध किया गया है जिसके भीतर प्रसारक और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वाले संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत अपने अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं, और न्यायिक रूप से उन्हें विनियमित किया जा सके।

जनहित याचिका ने कहा गया है, ‘‘मीडिया केवल एक व्यवसाय है, जो कि सत्ता के सबसे शक्तिशाली संरचनाओं में से एक है और इसलिए इसे संवैधानिक मानदंडों और सिद्धांतों द्वारा विनियमित किया जाना चाहिए।’’

इसमें कहा गया है कि स्व-नियामक प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रसारक को अपने मामले में न्यायाधीश बना देती है।

इसमें कहा गया है, ‘‘एक स्वतंत्र, नियामक अधिकरण या न्यायिक निकाय की स्थापना से वह दर्शकों/ नागरिकों द्वारा दायर मीडिया-व्यवसायों के खिलाफ शिकायत याचिकाओं पर सुनवायी करके शीघ्रता से निर्णय कर सकते हैं।’’

याचिकाकर्ताओं ने कानूनी मुद्दों को उठाया जिसमें संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को स्वतंत्र, निष्पक्ष और आनुपातिक मीडिया रिपोर्टिंग के अधिकार की परिकल्पना की गई थी।

इसमें कहा गया है, ‘‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर पाबंदियों को एक उच्च स्तर पर रखा जाना चाहिए क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में मीडिया ट्रायल दैनिक क्रम बन गया है।

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Web Title: Court seeks response from Center on plea seeking to set up 'Media Tribunal'

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