न्यायालय ने वन्यजीव कानून के तहत एनजीटी का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने पर महान्यायवादी से मांगी मदद

By भाषा | Updated: December 15, 2020 21:58 IST2020-12-15T21:58:10+5:302020-12-15T21:58:10+5:30

Court seeks help from Attorney General on extending jurisdiction of NGT under Wildlife Act | न्यायालय ने वन्यजीव कानून के तहत एनजीटी का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने पर महान्यायवादी से मांगी मदद

न्यायालय ने वन्यजीव कानून के तहत एनजीटी का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने पर महान्यायवादी से मांगी मदद

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने वन्य जीव संरक्षण कानून तक राष्ट्रीय हरित अधिकरण का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने की संभावना पर अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से मंगलवार को मदद मांगी। अटॉर्नी जनरल ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि वह तत्काल ही इस मुद्दे पर गौर करेंगे।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वह हरित अधिकरण का अधिकार क्षेत्र वन्यजीव संरक्षण कानून तक बढ़ाने की संभावना तलाशें।

यह पीठ गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) और लंबी टांगों वाले खरमोर जैसे विलुप्त हो रहे पक्षियों के संरक्षण के लिये पक्षी भगाने वाले उपकरण और भूमिगत केबल बिछाने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है।

याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एम के रंजीत सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने जब यह कहा कि हरित अधिकरण के पास ठीक इसी तरह का मामला लंबित है तो पीठ ने कहा कि अगर अधिकरण इस मामले पर विचार कर रहा है तो फिर कई वाद खड़े करने की जरूरत नहीं है।

दीवान ने कहा कि हरित अधिकरण को पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986 और वन संरक्षण कानून, 1980 के तहत अधिकार प्राप्त है लेकिन उसे वन्य जीव संरक्षण कानून के अंतर्गत कोई अधिकार प्राप्त नहीं है।

इस पर पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि इस बारे में कुछ करें और यह उचित है, जिसे किया जा सकता है।

वेणुगोपाल ने कहा कि ऐसा किया जाना चाहिए था लेकिन वह तत्काल इस पर गौर करेंगे।

पीठ ने दीवान से सवाल किया कि याचिकाकर्ता ने बिजली कंपनी को इसमें प्रतिवादी क्यों नहीं बनाया है जिसने विद्युत पारेषण के लिये ऊपर से लाइन खींची है। पीठ ने कहा कि वह कंपनी से कहेगी कि भूमिगत केबल बिछाने का खर्च वहन करे।

दीवान ने पीठ को यह जानकारी भी दी कि न्यायालय के पिछले साल के निर्देश के तहत एक विशेषज्ञ समिति गठित की गयी है, जिसकी कार्य शर्तें जारी की जायें।

पीठ ने दीवान से कहा कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के प्रवास के इलाके और भूमिगत केबल के मार्ग को चिन्हित करें ताकि सुनवाई की अगली तारीख पर इस पर विचार किया जा सके।

इसके साथ ही पीठ ने इस मामले की सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह के लिये स्थगित कर दी।

शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी को राजस्थान सरकार से कहा था कि वह इन दो विलुप्त हो रहे पक्षियों के संरक्षण के लिये भूमिगत केबल बिछाने पर विचार करे। न्यायालय ने कहा था कि ये बड़े पक्षी हैं और उनके उड़ान के रास्ते में बाधा पहुंचाने वाले उच्च क्षमता के बिजली के तारों से बचकर निकलना उनके लिये मुश्किल होता है।

इससे पहले, पर्यावरण और वन मंत्रालय ने न्यायालय से कहा था कि इन विलुप्त हो रहे पक्षियों के संरक्षण के लिये बिजली के भूमिगत केबल बिछाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।

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Web Title: Court seeks help from Attorney General on extending jurisdiction of NGT under Wildlife Act

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