अदालत ने दिल्ली सरकार से गैर पीडीएस लाभार्थियों को राशन देने की रणनीति बताने को कहा
By भाषा | Updated: September 23, 2021 21:30 IST2021-09-23T21:30:31+5:302021-09-23T21:30:31+5:30

अदालत ने दिल्ली सरकार से गैर पीडीएस लाभार्थियों को राशन देने की रणनीति बताने को कहा
नयी दिल्ली, 23 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आम आदमी पार्टी नीत सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बताने का निर्देश दिया कि कोविड-19 महामारी के बीच जरूरतमंद और गैर-पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) लाभार्थियों को पर्याप्त राशन उपलब्ध कराए जाएं।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सरकार से इस संबंध में अब तक किए गए सभी कार्यों के अहम बिंदु बताने को कहा और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया।
अदालत एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), 'दिल्ली रोज़ी रोटी अधिकार अभियान' के एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। इसमें सरकार के गैर पीडीएस दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई है जिसमें राशन मुहैया कराने के लिए 20 लाख लाभार्थियों की सीमा तय की गई है जिसे एनजीएओ ने ‘मनमाना’ बताया है।
एनजीओ ने कहा कि सभी जरूरतमंदों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाए और अदालत से आग्रह किया है कि आम आदमी पार्टी की सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह 27 मई को जारी अपने दिशानिर्देशों में संशोधन करे। एनजीओ ने यह भी कहा कि यह केवल एक बार का उपाय नहीं होना चाहिए और लाभार्थियों को अगले आदेश तक हर महीने राशन मिलना चाहिए।
दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता ए अग्रवाल ने कहा कि अदालत के 25 जून के आदेश के तहत इस सीमा को हटा दिया गया है। उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भूखा न सोए और राशन के अलावा लोगों को पका हुआ भोजन भी उपलब्ध कराया जा रहा है।”
अदालत ने 25 जून को विश्वास व्यक्त किया था कि दिल्ली सरकार अपेक्षित संख्या में लाभार्थियों को, खासकर, संकटपूर्ण परिस्थितियों में, पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने की अपनी जिम्मेदारी पूरी करेगी।
इस बीच अदालत ने अपने 27 अप्रैल 2020 के आदेश में संशोधन किया है जिसमें दिल्ली में उचित मूल्य की दुकानों को हफ्ते के सातों दिन खुला रहने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने अपने आदेश में संशोधन किया है कि महामारी की स्थिति 27 अप्रैल जितनी गंभीर नहीं है लिहाजा दुकानों को हफ्ते में एक दिन बंद रखा जा सकता है।
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