देश के पहले ट्रांसजेंडर सिपाही रचित राज की ट्रेन से कट कर हुई मौत, बिहार के कैमूर में थे पोस्टेड
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 1, 2022 01:53 PM2022-04-01T13:53:09+5:302022-04-01T14:27:26+5:30
ट्रेन हादसे के शिकार हुए देश के पहले ट्रांसजेंडर सिपाही रचित राज की नियुक्ति कैमूर पुलिस अधीक्षक की गोपनीय शाखा में हुई थी। बिहार की रहने वाले और रचना से रचित बनने वाले रचित राज साल 2018 में बिहार पुलिस में बहाल हुए थे।
कैमूर: देश के पहले ट्रांसजेंडर सिपाही होने का गौरव हासिल करने वाले रचित राज की आज मोहनियां में भभुआ रोड रेलवे स्टेशन पर एक दर्दनाक हादसे में मौत हो गई है। रेलवे ट्रैक को पार करते समय रचित राज अपने एक परिजन के साथ ट्रेन की चपेट में आ गये, जिससे कटकर उनकी और उसने रिश्तेदार की मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने के बाद बिहार पुलिस में शोक का माहौल है।
घटना की सूचना मिलने के बाद जांच के लिए मोहनिया एसडीपीओ, जीआरपी और आरपीएफ की टीम मौके पर पहुंच कर मामले की जांच कर रही है। घटना के वक्त मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने हादसे के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सुबह लगभग 9:30 बजे रचित ट्रेन की चपेट में आ गये है।
मोहनिया एसडीपीओ फैज अहमद खान ने बताया उन्हें दो महिलाओं की ट्रेन से कटकर मारे जाने की सूचना मिली। मृतकों में एक रचित राज ऊर्फ रचना कुमारी भी शामिल हैं, जो कैमूर पुलिस की जवान हैं और उनके साथ इस हादसे में मारी गईं दूसरी महिला रूपा कुमारी हैं, जो उनकी रिश्तेदार बताई जा रही हैं। हादसे की जानकारी परिजनों को दे दी गई है और पुलिस मामले की जांच कर रही है।
मालूम हो कि बिहार के रहने वाले रचित राज की नियुक्ति कैमूर ज़िले के पुलिस अधीक्षक की गोपनीय शाखा में थी। वह देश के पहले ट्रांसमैन सिपाही थे। रचना से रचित बने रचित राज बिहार पुलिस में साल 2018 बैच के सिपाही थे।
23 साल के रचित ने इंटर के बाद ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया था। सिपाही के पद पर नियुक्ति के बाद रचित ने बताया था कि 5 वर्ष पहले साल 2016 से उन्हें अहसास होने लगा कि वह लड़कों के जैसा महसूस करते हैं। उन्हें सजना-संवरना और लड़कियों की तरह सूट-सलवार पहनना पसंद नहीं था। रचित जब धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर एक्टिव हुए तो वे लड़कों की बजाये लड़कियों के प्रति ज्यादा आकर्षित हुए।
गौरतलब है कि साल 2014 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर लोगों को थर्ड जेंडर के तौर पर मान्यता प्रदान की थी।
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव को प्रतिबंधित करता है, जिसमें सेवा से इनकार करना या शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य सेवा के संबंध में अनुचित व्यवहार शामिल हैं।
ऐसे में बिहार पुलिस द्वारा रचित राज की नियुक्ति ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सशक्तीकरण की दिशा में उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण और सराहनीय कदम था।