स्पेशल रिपोर्ट: CBI भी कोरोना वायरस की चपेट में! लॉकडाउन वाली जगहों के लिए विशेष एडवाइजरी
By हरीश गुप्ता | Published: March 24, 2020 07:45 AM2020-03-24T07:45:59+5:302020-03-24T07:45:59+5:30
23 मार्च देश की अहम जांच एजेंसी सीबीआई भी कोरोना वायरस की चपेट में है. एजेंसी ने अप्रत्याशित निर्णय लिया है कि जहां अत्यधिक आवश्यक हो, वहीं छापेमारी की जानी चाहिए. जहां संदिग्ध की ओर से साक्ष्य को नष्ट करने का संदेह है, वहां जांच अधिकारियों को क्या करना है और क्या नहीं, इसकी ताजा सूची विशेष रूप से तैयार की गई है. ऐसे मामलों में जांच में देरी किए बगैर अधिकारियों को उचित निर्णय लेने चाहिए.
इसकी वजह यह है कि पूरी दिल्ली और देश के 75 जिले जहां लॉकडाउन है, वहां सीबीआई को स्थानीय पुलिस का सहयोग मिलने की संभावना नहीं है. सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला की एडवाइजरी के जरिये सभी अधिकारियों को डिजिटल अपनाने और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नेटवर्क को मजबूत करने के लिए कहा है. साथ ही अधिकारियों को आवश्यक पत्राचार आधिकारिक ईमेल के जरिये करने, दूसरे ऑफिस में फाइल और दस्तावेजों को भेजने के बदले डिजिटल स्वीकृति लेने के लिए कहा गया है.
कोराना वायरस महामारी के दौरान लंबित फाइलों और कम महत्वपूर्ण मामलों को निपटाने का लाभ उठाना चाहिए. साथ ही अधिकारियों को नाश्ता, लंच और चाय ब्रेक के दौरान बैठक और आपसी मेलजोल से बचने के लिए भी कहा गया है. एडवाइजरी में विभिन्न राज्यों में सीबीआई की इकाई से ऐसी बैठक जिसमें पांच से अधिक अधिकारियों की मौजूदगी आवश्यक होती है, उन्हें पुनर्निधारित करने या टालने की सलाह दी गई है.
केंद्र सरकार के दिशानिर्देश के बाद ग्रुप बी और ग्रुप सी के अधिकारियों समेत 50 फीसदी कार्यबल घर से कार्य करते हैं. यह निर्णय लिया गया है कि अधिकारी फाइल के साथ संलग्न सबूतों पर ध्यान केंद्रित कर अपना बैकलॉग पूरा करें. बाकी 50 फीसदी कर्मचारी विशेष मामले की आवश्यकतानुसार ऑफिस आएंगे. वरिष्ठ अधिकारियों के घर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधा के लिए सिस्टम लगाए जा रहे हैं.
संदिग्ध या जेल में बंद आरोपियों के साथ अन्याय नहीं हो : सीबीआई प्रमुख की अनुशंसा से जारी एडवाइजरी में अत्यधिक संवेदनशील, महत्वपूर्ण और स्थिति सामान्य होने तक टलने वाले मामलों की सूची बनाने के लिए कहा गया है. साथ ही यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि देरी के कारण किसी भी संदिग्ध या जेल में बंद आरोपी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए.
यह भी निर्णय लिया गया है कि किसी भी महत्वपूर्ण जांच को प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए. एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि सभी फोन और ईमेल पर सभी उपलब्ध हैं. सीबीआई की जांच दस्तावेजों पर आधारित है और आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाने आदि का काम दो-तीन सप्ताह के बाद फिर से शुरू हो सकता है.